शिमला (विकास शर्मा, ब्यूरो चीफ),
हिमाचल प्रदेश युवा कांग्रेस (HPYC) के प्रदेश अध्यक्ष छतर सिंह ठाकुर ने आज राजीव भवन, शिमला में एक संयुक्त प्रेस वार्ता को संबोधित किया। इस अवसर पर उनके साथ HPYC के राज्य महासचिव डॉ. रंजीत सिंह वर्मा और शिमला युवा कांग्रेस के महासचिव तुषार सिंह स्तान उपस्थित रहे। प्रेस वार्ता में छतर सिंह ठाकुर ने देश और प्रदेश में शिक्षा के भगवाकरण और डॉ. वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौनी, सोलन में डॉ. राजेश्वर सिंह चंदेल की अवैध नियुक्ति सहित विभिन्न मुद्दों पर प्रकाश डाला। डॉ. रंजीत सिंह वर्मा ने इन मुद्दों पर विस्तार से जानकारी दी और अनियमितताओं को उजागर किया।
छतर सिंह ठाकुर ने बताया कि डॉ. राजेश्वर सिंह चंदेल को 6 मई, 2022 को विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर नियुक्त किया गया था, जो विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा 24 का स्पष्ट उल्लंघन है। इस धारा के अनुसार, कुलपति की चयन समिति में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के महानिदेशक का शामिल होना अनिवार्य है, जो इस मामले में नहीं था। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर में भी इसी तरह की गलत प्रक्रिया के तहत हुई नियुक्ति को माननीय हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने 26 मार्च, 2025 के अपने निर्णय में रद्द कर दिया था। चूंकि दोनों विश्वविद्यालयों के लिए अधिनियम में नियुक्ति के प्रावधान समान हैं, इसलिए डॉ. चंदेल की नियुक्ति भी असंवैधानिक और अवैध है।
डॉ. रंजीत सिंह वर्मा ने इस मुद्दे पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि डॉ. चंदेल का कार्यकाल 8 मई, 2025 को समाप्त होने वाला है, लेकिन अभी तक नए कुलपति की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है। उन्होंने मांग की कि राज्य सरकार तत्काल सतर्कता जांच का आदेश दे, डॉ. चंदेल को नैतिक आधार पर इस्तीफा देने के लिए कहे या माननीय राज्यपाल, हिमाचल प्रदेश-सह-विश्वविद्यालय के कुलाधिपति द्वारा उन्हें पद से हटाया जाए। साथ ही, नए कुलपति के पद को विज्ञापित कर नियुक्ति प्रक्रिया को समयबद्ध और पारदर्शी तरीके से पूरा करने की मांग की।
डॉ. वर्मा ने डॉ. चंदेल के कार्यकाल में हुई वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितताओं पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि 2022 में कुलपति के लिए 40 लाख रुपये की किआ कार्निवल खरीदी गई, जिसके लिए राज्य सरकार के वित्त विभाग से अनुमति नहीं ली गई। यह राशि नेरी कॉलेज, हमीरपुर के छात्रों की फीस से ली गई, जबकि छात्र बसों और बुनियादी सुविधाओं की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा, कुलपति और शोध निदेशक के आवासों के नवीकरण पर 80 लाख रुपये खर्च किए गए, जिसमें कुलपति के आवास पर 70 लाख रुपये के महंगे इंटीरियर और फर्नीचर शामिल हैं, जबकि उसकी आधार कीमत मात्र 25 लाख रुपये है।
डॉ. रंजीत वर्मा ने शोध निदेशक डॉ. संजीव चौहान के मामले को भी उठाया, जिन्हें पंजाब कृषि विश्वविद्यालय से प्रतिनियुक्ति पर लाया गया था। उनकी प्रतिनियुक्ति 2 अगस्त, 2024 को समाप्त हो गई और 3 अगस्त, 2024 को प्रशासनिक विभाग ने इसे रद्द करने के आदेश दिए, लेकिन वे अभी तक पद पर बने हुए हैं। विश्वविद्यालय ने उन्हें और विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. इंदर देव को अगस्त 2022 से जुलाई 2024 तक 1,67,29,106 रुपये का भुगतान किया, जो अब 2 करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है। यह राशि बचाई जा सकती थी, यदि वरिष्ठ प्रोफेसर को अतिरिक्त प्रभार दिया जाता।
उन्होंने एक और वित्तीय अनियमितता का जिक्र किया, जिसमें 21 मार्च, 2023 को गुजरात की डॉ. आरबी कच्छ एसपीएनएफ प्रोड्यूसर कंपनी को 8,72,539 रुपये का भुगतान किया गया। यह भुगतान एकल उद्धरण के आधार पर बिना उचित दस्तावेजों के किया गया, जो विश्वविद्यालय लेखा नियमावली का उल्लंघन है। इसके अतिरिक्त, जीएसटी के लिए 1,33,099 रुपये का भुगतान भी किया गया। स्थानीय लेखा परीक्षा विभाग ने इस पर आपत्ति जताई है।
छतर सिंह ठाकुर ने कहा कि डॉ. चंदेल ने 19-21 दिसंबर, 2022 को आरएसएस समर्थित संस्थाओं द्वारा प्रायोजित एक सम्मेलन आयोजित करवाया, जिसमें विश्वविद्यालय के संसाधनों का दुरुपयोग हुआ। इसके अलावा, पूर्व बीजेपी सरकार में प्राकृतिक खेती परियोजना में संयुक्त निदेशक के रूप में डॉ. चंदेल ने 1 लाख किसानों के गलत आंकड़े पेश किए, जबकि वास्तव में केवल 10,000 किसान ही इससे जुड़े थे।
HPYC ने मांग की कि डॉ. चंदेल की सभी अनियमितताओं की सतर्कता जांच हो, दोषियों पर कार्रवाई हो, और कुलपति का प्रभार वरिष्ठतम प्रोफेसर को सौंपा जाए। HPYC जल्द ही राज्यपाल और मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपेगी।
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