धर्मशाला (रक्कड़),
जब सीखने की ललक और हुनर की ताकत मिलती है, तो हर चुनौती छोटी लगने लगती है। कांगड़ा जिले के युवाओं के लिए जागोरी रूरल चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा आयोजित मोटर मैकेनिक और इलेक्ट्रिकल तकनीशियन कार्यशालाओं ने 52 किशोरों और किशोरियों को न केवल व्यावसायिक कौशल से जोड़ा, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनने की दिशा में भी प्रेरित किया। जर्मनी की प्रतिष्ठित संस्था “टूल्स फॉर लाइफ फाउंडेशन” से आए विशेषज्ञ इंग्रिड और माइकल ने किशोरों को मोटर मरम्मत और इलेक्ट्रिकल कार्यों का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया। उनके मार्गदर्शन में युवाओं ने तकनीकी कौशल सीखे, जो न केवल आत्मनिर्भरता की ओर कदम है, बल्कि रोजगार के नए द्वार भी खोलता है। इस प्रशिक्षण का सबसे महत्वपूर्ण संदेश यही था—तकनीक और हुनर किसी एक वर्ग, जाति या लिंग तक सीमित नहीं हैं, बल्कि हर उस व्यक्ति का अधिकार हैं, जो सीखने और आगे बढ़ने का हौसला रखता है।
तकनीकी कौशल से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम
मोटर मैकेनिक कार्यशाला: औजारों से आत्मविश्वास तक
10 से 12 मार्च और 19 से 21 मार्च 2025 को दो बैचों में आयोजित मोटर मैकेनिक कार्यशाला में पहले बैच में 11 और दूसरे बैच में 28 प्रतिभागियों सहित कुल 39 किशोरों और किशोरियों ने भाग लिया। इस कार्यशाला का उद्देश्य सिर्फ वाहन मरम्मत सिखाना नहीं था, बल्कि युवाओं को उन क्षेत्रों में भी कदम रखने के लिए प्रेरित करना था जहाँ उनकी पहुँच पहले नहीं थी।
पहले दिन, प्रतिभागियों ने इंजन की बारीकियों को समझा—स्पार्क प्लग, कार्बोरेटर, एयर फिल्टर और अल्टरनेटर बेल्ट जैसे तकनीकी पहलू सीखे। दूसरे दिन, जब वे टायर पंचर सुधारने, ब्रेक सिस्टम की जांच करने और ऑयल बदलने के लिए औजारों को अपने हाथ में पकड़ रहे थे, तो उनमें आत्मविश्वास की नई लहर देखी गई। तीसरे दिन, सुरक्षा उपायों और बैटरी रखरखाव पर जोर दिया गया। किशोरियों के लिए यह अनुभव और भी खास रहा—पहली बार उन्होंने भारी औजारों को हिचकिचाहट के बिना अपनाया और यह साबित किया कि मैकेनिक की दुनिया में उनका भी उतना ही हक है जितना किसी और का।
इलेक्ट्रिकल तकनीशियन कार्यशाला: रोशनी से आत्मनिर्भरता तक
इसी दौरान, इलेक्ट्रिकल तकनीशियन कार्यशाला में कुल 42 प्रतिभागियों ने भाग लिया, जो 10-12 मार्च और 19-21 मार्च 2025 को आयोजित हुई। यहाँ उन्होंने विद्युत प्रणाली को समझने के साथ-साथ तारों की पहचान, वायरिंग, प्लग कनेक्शन और उपकरणों की मरम्मत सीखी। पहले दिन, सुरक्षा उपायों और इलेक्ट्रिकल वर्क की मूलभूत समझ दी गई। दूसरे दिन, प्रतिभागियों ने अपनी रचनात्मकता को भी आजमाया—उन्होंने पुरानी कांच की बोतलों को सुंदर और कार्यशील लैंप में बदलने की कला सीखी।
आखिरी दिन, जब किशोरियों ने ड्रिल मशीन चलाई और बिजली के कामों को आत्मविश्वास के साथ पूरा किया, तो यह सिर्फ एक कार्यशाला नहीं, बल्कि लैंगिक बाधाओं को तोड़ने का ऐतिहासिक क्षण बन गया। अब वे न केवल अपने घरों में छोटे-मोटे इलेक्ट्रिकल काम कर सकती हैं, बल्कि इस हुनर को रोजगार के अवसरों में बदलने की भी तैयारी कर रही हैं।
तकनीक से आगे, सामाजिक बदलाव की ओर
इन कार्यशालाओं की सबसे बड़ी सफलता सिर्फ 52 किशोरों और किशोरियों को तकनीकी दक्षता देना नहीं था, बल्कि उन्हें यह एहसास दिलाना था कि वे किसी से कम नहीं। किशोरियों ने औजार थामकर यह साबित कर दिया कि हुनर की कोई सीमा नहीं होती।
जागोरी रूरल चैरिटेबल ट्रस्ट का यह प्रयास तकनीकी शिक्षा और लैंगिक समानता को ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुँचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह सिर्फ एक शुरुआत है—आने वाले समय में यह पहल और भी अधिक युवाओं को आत्मनिर्भरता और सम्मानजनक आजीविका की राह पर आगे बढ़ाने में सहायक होगी, ताकि कांगड़ा के गाँव-गाँव में हुनर का उजियारा फैले और सपनों को नई उड़ान मिले।
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