कुल्लू (आशा डोगरा,सब एडिटर),
राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई, राजकीय उत्कृष्ट महाविद्यालय बन्जार द्वारा आज महाविद्यालय के सम्मेलन कक्ष से “शिक्षा तथा मानव जीवन की सार्थकता” विषय पर विशेष आभासी व्याख्यान आयोजित किया गया| जिसमें मुख्य अतिथि तथा मुख्य वक्ता के रूप में भारत वर्ष के उत्तर-पूर्वी प्रांत त्रिपुरा के अगरतला स्थित केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के पाली भाषा तथा बौद्ध दर्शन विभाग के प्रमुख, वरिष्ठ शिक्षाविद् तथा तुलनात्मक दर्शन के अध्येता प्रोफेसर (डॉ.) अवधेश कुमार चौबे जी ने आभासी माध्यम से शिरकत की। कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत स्वयं सेवी संध्या देवी व स्नेहा ठाकुर द्वारा की गई। सर्वप्रथम माता सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित किया गया। उसके पशात राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई बंजार की स्वयंसेवी द्वारा एनएसएस गीत गाया गया और स्वयंसेवी हमिन्द्रा ठाकुर द्वारा मुख्य अतिथि का औपचारिक स्वागत किया गया। प्राचार्या डॉ. रेणुका थपलियाल की व्यस्तता के चलते राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के मुख्य सलाहकार प्रो. रामा ने इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि तथा अन्य अतिथियों सहित स्वयं-सेवियो को संबोधित किया और सभी का संस्थान की ओर से हार्दिक अभिनन्दन किया। उन्होंने मुख्य अथिति के वचनों को सुनने में रुचि दिखाई। इसके बाद इकाई के कार्यक्रम अधिकारी डॉ. श्रवण कुमार द्वारा मुख्य अतिथि का औपचारिक परिचय दिया गया। उन्होंने सबसे पहले मुख्य अतिथि को आदर पूर्ण नमन किया और मुख्य अतिथि के व्यक्तित्व तथा कृतित्व के बारे में विस्तार पूर्वक बताया कि प्रो. अवधेश कुमार चौबे जी ने 17वें अन्तर्राष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन में ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय बैंकुवर, कनाडा में अपोहविमर्श: विषय पर तथा 18वें विश्व संस्कृत सम्मेलन आस्ट्रेलियाई राष्ट्रीय विश्वविद्यालय केनबरा, आस्ट्रेलिया में बौद्धनये कालविमर्श: विषय उत्कृष्ट शोध पत्र प्रस्तुत किया। प्रो. चौबे पाली भाषा तथा बौद्ध दर्शन के साथ भारतीय तुलनात्मक दर्शन के विख्यात विद्वान होने के साथ एक कुशल प्रशासक व प्रबंध कर्ता भी हैं।
इसके बाद मुख्य अतिथि द्वारा शिक्षा, विद्या तथा एजुकेशन विषय के सम्बन्ध में शाब्दिक तथा व्यावहारिक रूप से स्पष्टीकरण सहित महत्वपूर्ण जानकारी दी।पहले उन्होंने शिक्षा के विषय में बताया कि शिक्षा एक ऐसा विषय है जिसे परंपरागत तरीके से प्राप्त किया जाता है। शिक्षा से ही हम समाज मे खरे उतरते हैं और हमारा जीवन सफल हो सकता है। शिक्षा व्यक्ति को पूरे विश्व से जोड़ता है। उन्होंने शिक्षा से जो विज्ञान के क्षेत्र मे विकास हुआ है उससे होने वाले लाभ के साथ साथ उससे होने वाली हानियों के विषय में भी बताया। किस प्रकार यह हमारे लिए क्षति का कारण बन सकता है। उन्होंने बताया की मनुष्य का जीवन अभी सार्थक नही है क्योंकि मनुष्य आज जो भी करता है बो अपने स्वार्थ के लिया कर रहा है। जब तक मनुष्य अपने स्वार्थ को छोड़ कर दूसरे के लिए कुछ करे तो जीवन सार्थक हो सकता है। सेवा का भाव और करुणा का भाव रखकर ही मनुष्य का जीवन सफल हो सकता है। जिला कुल्लू व लाहौल-स्पीति राष्ट्रीय सेवा योजना के नोडल अधिकारी डॉ. श्रवण कुमार ने कहा कि इसके उपरांत प्रश्नोत्री को शुरू किया जाता है। जिसमे छात्र गुरुजी से उनके द्वारा दिए गए विचारो पर प्रश्न पूछे गए। ये प्रश्न इस प्रकार है । 1 अच्छी शिक्षा के लिए क्या आवश्यक है? 2 शिक्षा के लिया प्रेरणा कैसे ली जा सकती है? इस प्रकार के और भी प्रश्न सूची में शामिल है।जिसके गुरुजी ने उत्तर दिए जिसे बच्चो के ज्ञान में वृद्धि हुई। इसके उपरांत स्वयं-सेवी हिमानी वर्मा द्वारा मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथियों और उपस्थित सभी लोगों का औपचारिक रूप से धन्यवाद किया गया। इसके पश्चात सभी स्वयं-सेवियों द्वारा मिलकर मंगल मैत्री और राष्ट्रगान गायन उपरांत कार्यक्रम विधिवत रूप से सम्पन्न हो गया।
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