ब्यूरो रिपोर्ट।
देश में बच्चों की मौत की खबरों के बाद केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सख्त निर्देश जारी किए हैं। अब दो साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप नहीं दिया जाएगा। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसे बच्चों की सुरक्षा से जुड़ा गंभीर कदम बताया है।
यह निर्णय मध्य प्रदेश में कथित तौर पर दूषित कफ सिरप से बच्चों की मौत की खबरों के बाद लिया गया। हालांकि जांच में राहत की बात यह रही कि सिरप के किसी भी नमूने में डायथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) या एथिलीन ग्लाइकॉल (EG) जैसे जहरीले तत्व नहीं पाए गए, जो किडनी को गंभीर नुकसान पहुँचा सकते हैं।
🔹 5 साल तक के बच्चों और बुजुर्गों के लिए भी चेतावनी
स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (DGHS) ने सलाह दी है कि 5 साल से कम उम्र के बच्चों को सामान्य परिस्थितियों में कफ सिरप न दिया जाए। वहीं बुजुर्गों के लिए भी दवा का इस्तेमाल डॉक्टर की निगरानी में ही किया जाए। किसी भी स्थिति में दवा की खुराक और गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने को कहा गया है।
🔹 डॉक्टर की पर्ची अनिवार्य
एडवाइजरी में यह स्पष्ट किया गया है कि माता-पिता बिना चिकित्सकीय सलाह के बच्चों को कफ सिरप न दें। विशेषज्ञों के अनुसार, ज्यादातर खांसी के मामले बिना दवा के ही ठीक हो जाते हैं।
🔹 स्वास्थ्य सेवाओं के लिए सख्त निर्देश
केंद्र ने सभी अस्पतालों, क्लीनिकों और दवा दुकानों को निर्देश दिए हैं कि वे केवल गुणवत्तापूर्ण और मानक उत्पाद ही बेचें। साथ ही, राज्य सरकारों और जिला स्वास्थ्य अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि इस सलाह को तुरंत सभी सरकारी अस्पतालों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और दवाखानों तक पहुँचाया जाए।
🔹 जांच रिपोर्ट में मिली राहत
मध्य प्रदेश में बच्चों की मौत के बाद, स्वास्थ्य मंत्रालय ने NCDC और CDSCO की संयुक्त टीम भेजी थी। टीम ने नमूनों की जांच कर बताया कि किसी भी सिरप में DEG या EG जैसे विषैले रसायन नहीं मिले। वहीं राजस्थान से मिली दूषित सिरप की खबरों पर भी मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि संदिग्ध सिरप में प्रोपिलीन ग्लाइकॉल नहीं पाया गया।
यह एडवाइजरी साफ संकेत देती है कि सरकार बच्चों की सेहत को लेकर सतर्क है और बिना डॉक्टर की सलाह दवा देने की प्रवृत्ति पर रोक लगाना चाहती है।देश में बच्चों की मौत की खबरों के बाद केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सख्त निर्देश जारी किए हैं। अब दो साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप नहीं दिया जाएगा। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसे बच्चों की सुरक्षा से जुड़ा गंभीर कदम बताया है।
यह निर्णय मध्य प्रदेश में कथित तौर पर दूषित कफ सिरप से बच्चों की मौत की खबरों के बाद लिया गया। हालांकि जांच में राहत की बात यह रही कि सिरप के किसी भी नमूने में डायथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) या एथिलीन ग्लाइकॉल (EG) जैसे जहरीले तत्व नहीं पाए गए, जो किडनी को गंभीर नुकसान पहुँचा सकते हैं।
🔹 5 साल तक के बच्चों और बुजुर्गों के लिए भी चेतावनी
स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (DGHS) ने सलाह दी है कि 5 साल से कम उम्र के बच्चों को सामान्य परिस्थितियों में कफ सिरप न दिया जाए। वहीं बुजुर्गों के लिए भी दवा का इस्तेमाल डॉक्टर की निगरानी में ही किया जाए। किसी भी स्थिति में दवा की खुराक और गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने को कहा गया है।
🔹 डॉक्टर की पर्ची अनिवार्य
एडवाइजरी में यह स्पष्ट किया गया है कि माता-पिता बिना चिकित्सकीय सलाह के बच्चों को कफ सिरप न दें। विशेषज्ञों के अनुसार, ज्यादातर खांसी के मामले बिना दवा के ही ठीक हो जाते हैं।
🔹 स्वास्थ्य सेवाओं के लिए सख्त निर्देश
केंद्र ने सभी अस्पतालों, क्लीनिकों और दवा दुकानों को निर्देश दिए हैं कि वे केवल गुणवत्तापूर्ण और मानक उत्पाद ही बेचें। साथ ही, राज्य सरकारों और जिला स्वास्थ्य अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि इस सलाह को तुरंत सभी सरकारी अस्पतालों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और दवाखानों तक पहुँचाया जाए।
🔹 जांच रिपोर्ट में मिली राहत
मध्य प्रदेश में बच्चों की मौत के बाद, स्वास्थ्य मंत्रालय ने NCDC और CDSCO की संयुक्त टीम भेजी थी। टीम ने नमूनों की जांच कर बताया कि किसी भी सिरप में DEG या EG जैसे विषैले रसायन नहीं मिले। वहीं राजस्थान से मिली दूषित सिरप की खबरों पर भी मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि संदिग्ध सिरप में प्रोपिलीन ग्लाइकॉल नहीं पाया गया।
यह एडवाइजरी साफ संकेत देती है कि सरकार बच्चों की सेहत को लेकर सतर्क है और बिना डॉक्टर की सलाह दवा देने की प्रवृत्ति पर रोक लगाना चाहती है।
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