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राजकीय महाविद्यालय संजौली के भूविज्ञान विभाग में विशेषज्ञ व्याख्यान का आयोजन

शिमला (विकास शर्मा,ब्यूरो चीफ),

महाविद्यालय संजौली के भूविज्ञान विभाग (Centre of Excellence) द्वारा दिनांक 18 सितम्बर 2025 को एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। यह व्याख्यान डॉ. राजेश्वर सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर, सिविल इंजीनियरिंग विभाग, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा प्रस्तुत किया गया, जिसका विषय “Engineering Geology और Sustainable Infrastructure Development” रहा।कार्यक्रम में बी.एससी. भूविज्ञान प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय वर्ष के कुल 103 छात्रों ने भाग लिया। व्याख्यान का उद्देश्य छात्रों को भूविज्ञान और सिविल इंजीनियरिंग के पारस्परिक संबंधों से अवगत कराना था, विशेषकर हिमालयी क्षेत्रों जैसे भू-संवेदनशील इलाकों में स्थायी निर्माण कार्यों की भूमिका पर प्रकाश डालना।व्याख्यान में डॉ. सिंह ने पर्वतीय क्षेत्रों में भू-स्खलन, भूकंप और अन्य भूगर्भीय खतरों की चर्चा की तथा बताया कि किस प्रकार से सटीक भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और परीक्षण किसी भी संरचना की दीर्घकालिक सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने विभिन्न स्थानीय परियोजनाओं के केस स्टडीज़ के माध्यम से छात्रों को व्यावहारिक दृष्टिकोण से जोड़ने का प्रयास किया।कार्यक्रम की विशेषता यह रही कि वत्सल, आयुष और सुमित जैसे होनहार छात्रों ने अपनी-अपनी प्रस्तुतियाँ (Presentations) दीं, जिनमें क्षेत्रीय भूखतरों, जलविद्युत परियोजनाओं एवं पर्यावरणीय प्रभावों से जुड़े विषयों को समाहित किया गया। इन प्रस्तुतियों को उपस्थित जनों ने सराहा और विद्यार्थियों के शोध प्रयासों की सराहना की। छात्रों ने पुस्तकों की विषयवस्तु के संबंध में प्रश्न पूछे तथा भविष्य में स्वयं भी लेखन एवं प्रकाशन में भाग लेने की इच्छा जताई।इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्या डॉ. भारती भगरा ने की। उन्होंने विद्यार्थियों को ऐसे शैक्षणिक आयोजनों में सक्रिय रूप से भाग लेने हेतु प्रेरित किया और कहा कि “भूविज्ञान जैसे विषयों की वास्तविक उपयोगिता तभी स्पष्ट होती है जब हम इसे अन्य विषयों के साथ जोड़कर समझें।” कार्यक्रम का समुचित संचालन भूविज्ञान विभाग की वरिष्ठ संकाय सदस्य डॉ. लक्ष्मी वर्साइन द्वारा किया गया, जिन्होंने आयोजन के हर चरण को कुशलतापूर्वक संपन्न कराया।यह कार्यक्रम छात्रों के लिए न केवल ज्ञानवर्धक रहा, बल्कि उनके भीतर शोध व प्रस्तुति क्षमता को भी निखारने का एक उत्तम अवसर बना। भूविज्ञान विभाग भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन की योजना बना रहा है, जिससे अकादमिक वातावरण और अधिक समृद्ध हो सके।

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