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वन विभाग हिमाचल प्रदेश के फ्रंट लाईन अधिकारियों, कर्मचारियों, हेतु क्षमता निर्माण प्रशिक्षण कार्यक्रम

शिमला (विकास शर्मा, ब्यूरो चीफ),

भा.वा.अ.शि.प.-हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान शिमला ने वन विभाग हिमाचल प्रदेश के फ्रंट लाईन अधिकारियों एवं, कर्मचारियों, हेतु तीन दिवसीय क्षमता निर्माण प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन 18 मार्च, से 20 मार्च 2025 तक संस्थान में किया जा रहा है । डॉ॰ वनीत जिष्टू, वैज्ञानिक-ई, विस्तार प्रभाग प्रमुख एवं प्रशिक्षण कोओर्डिनेटर/समन्वयक ने कहा कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम हिमाचल प्रदेश राज्य वन विभाग (रिसर्च एंड ट्रेनिंग) करनोडी, सुंदरनगर, मंडी(हि. प्र.) के सौजन्य से किया जा रहा है । इस ट्रेनिंग में फ्रंटलाइन स्टाफ से अनुसंधान अनुभव सांझा किए जाएंगे और अनुसंधान उपकरणों के बारे में भी बताया जाएगा । ट्रेनिंग के दूसरे दिन प्रशिक्षुओं को करोल टिब्बा सोलन में ले जाया जाएगा जहां उन्हें स्थानीय पोधों की पहचान और वर्गीकरण की व्यावहारिक जानकारी दी जाएगी और ट्रेनिंग के अंतिम तीसरे दिन उन्हें ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस), फ़ॉरेस्ट नर्सरी में माइकोरहिज़ा की भूमिका, वन अधिकार अधिनियम के बारे में जानकारी दी जाएगी । इसके अलावा उन्होने कहा कि संस्थान हिमाचल प्रदेश के हाई एल्टीट्यूड ट्रांजिशन जोन्स पर ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों पर पिछले 14 वर्षों से कार्य कर रहा है । झाड़ियां व पेड़ अल्पाइन क्षेत्रों में एल्बिडो इफेक्ट को रोकते हैं, ऊष्मा को अवशोषित करती हैं और और स्नो लाईन को ऊपर की ओर बढ़ाते हैं । उन्होने जैव विविधता के महत्व पर बल देते हुए कहा कि जंगल सिर्फ पेड़ नहीं है जब नये पौधारोपण के लिए जमीन तैयार की जाती है तो झाड़ियां और छोटे पौधों को उनका महत्व समझे बिना हटा दिया जाता है, हम सामान्यतः समझते हैं कि जंगल सिर्फ बड़े पेड़ हैं परंतु जंगल में पेड़ झाड़ियां और छोटे पौधे जीव-जन्तु सभी कुछ शामिल होते हैं वह सभी मिलकर एक पारिस्थितिकी का निर्माण करते हैं । मुख्य अतिथि के. तिरुमल, भारतीय वन सेवा, मुख्य अरण्यपाल ने कहा कि अच्छी नर्सरी पौधारोपण की सफलता का निर्धारण करती है । प्रशिक्षण तकनीकी क्षमता को बढ़ाती है । उन्होंने आगे कहा कि उन्होंने थिंक आउट ऑफ द बॉक्स पर बल दिया और कहा की नई जानकारी को अपने दैनिक जीवन में शामिल करके प्रशिक्षु अपने करियर में तरक़्क़ी कर सकते हैं और इससे विभाग को भी लाभ होगा । संस्थान के निदेशक डॉ. संदीप शर्मा ने उत्पादकता बढाने हेतु वन गतिविधियों में नवाचार दृष्टिकोण की जरूरत बताई । डॉ. शर्मा ने कहा कि जो उपाए एक स्थान/स्थिति पर व्यावहारिक हो सकता है, वह दूसरे अन्य स्थान पर यथावत प्रयोग नहीं किया जा सकता । डॉ. शर्मा ने कहा कि वन विभाग जैव कीटनाशक और हिम ग्रोथ बूस्टर नर्सरी में प्रयोग करके पर्यावरण अनुकूल सूक्ष्मजीव को नुकसान से बचा सकते हैं जिससे पारिस्थितिकी तंत्र संतुलन को भी बढ़ावा मिलेगा । उन्होने आधुनिक नर्सरी तकनीक और गुणवत्ता वाले स्टॉक पौधों का उत्पादन विषय पर विस्तृत जानकारी दी । वानिकी हस्तक्षेप से सुध लेने की आवश्यकता पर बल दिया । श्री कुलदेश कुमार, बरिष्ट तकनीकी अधिकारी ने वन मापन के बारे में व्यवहारिक जानकारी दी । श्रीमति अंजु तपवाल, आर्ट आफ़ लिविंग, शिमला ने कार्यस्थल पर तनाव प्रबंधन के उपाय सुझाए । इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में वन विभाग हिमाचल प्रदेश के विभिन्न वन मण्डल के 25 फ्रंट लाईन अधिकारियों, कर्मचारियों ने भाग लिया ।

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