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सिरमौर डी.डी.एम.ए. द्वारा आपदा प्रबंधन को किया जा रहा सुदृढ

नाहन (हेमंत चौहान, संवाददाता),

हिमाचल प्रदेश अपनी कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण प्राकृतिक आपदाओं की दृष्टि से सदैव संवेदनशील राज्य रहा हैं। आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत आपदा आने पर आपदाओं के प्रतिकूल प्रभाव के प्रबंधन के लिए हिमाचल प्रदेश आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का गठन 1 जून 2007 को किया गया। जिला सिरमौर में आपदा की परिस्थिति में आपदा से निपटने के लिए जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डी.डी.एम.ए.) द्वारा क्रियाशील एवं राहत केन्द्रित दृष्टिकोण अपनाया गया है।

जिला सिरमौर एक पहाडी भू-भाग होने के कारण इस जिला में भूस्खलन, भारी बारिश, बाढ़ इत्यादि की सम्भावनाएं भी अधिक रहती है। सिरमौर जिला में किसी भी आपदा के परिणामों के जोखिम को कम करने के लिए जिला आपदा प्राधिकरण को सुदृढ़ किया जा रहा है, आपदा से निपटाने के लिए जिले में अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। आपदा की परिस्थितियों से निपटने के लिए जिला प्राधिकरण द्वारा 03 भूस्खलन निगरानी सैंसर और तकनीक, सैटेलाइट फोन इत्यादि का प्रयोग किया जा रहा है। जिला मुख्यालय में स्थापित नियंत्रण कक्ष में उच्च आवृति के सैट (वीएचएफसैट), डीएच सैट आपातकालीन टॉर्च, टेलीफोन, मोबाइल सेटेलाइट फोन, लाइफ जैकेट तथा आपातकालीन प्रतिक्रिया समर्थन प्रणाली (इआरएसएस) उपलब्ध करवाए गए है। प्राधिकरण में ड्रोन संचालन के लिए एक लाइसेंस प्राप्त ड्रोन संचालक और हैम रेडियो संचालक भी उपलब्ध है। जिला मुख्यालय में स्थापित प्राधिकरण के कंट्रोल रूम 24×7 कार्यशील है, जिसमें किसी भी प्रकार की आपदा की जानकारी देने के लिए 1077 नंबर पर फोन किया जा सकता है।

आपदा ग्रस्त क्षेत्र में स्वयंसेवा की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए आपदा युवा स्वयं सेवकों को भी प्रशिक्षित किया जा रहा है। जिला के सभी उप मंडलों में मार्च 2020 से अब तक 700 से अधिक आपदा युवा स्वयं सेवकों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। जिला सिरमौर में वास्तविक जीवन की आपात स्थितियों का अनुकरण कर आपातकालीन योजनाओं और प्रक्रियाओं की प्रभावशीलता के परीक्षण के लिए नियमित रूप से मॉक ड्रिल का आयोजन भी किया जाता है। जिला के पांवटा व कालाअम्ब औद्योगिक क्षेत्र होने के कारण इन क्षेत्रों में किसी भी प्रकार की औद्योगिक आपदा के दौरान जान तथा माल की सुरक्षा के लिए, वर्ष में दो बार औद्योगिक मॉक ड्रिल आयोजित किए जाते है। जिला में भूस्खलन व भूकंप की स्थिति से निपटने की तैयारी हेतु साल में दो मॉक ड्रिल जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा तथा दो मॉक ड्रिल राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल द्वारा आयोजित किए जाते हैं। इसके अतिरिक्त, जिला के सम्बंधित विभागों को भी समय-समय पर प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।

जिला में आपदा की स्थिति से निपटने के लिए हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) मुख्यालय शिमला को सिरमौर का सबसे नजदीकी एसडीआरएफ केंद्र चिन्हित किया गया है। जबकि जिला सिरमौर के लिए आपदा में सहायता प्रदान करने के लिए सबसे निकट राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल 14वीं वाहिनी जिला कांगड़ा के तहसील नूरपुर व जिला सोलन के नालागढ़ स्थित क्षेत्रीय प्रतिक्रिया केन्द्र को चिन्हित किया गया है।

गत वर्ष मानसून के दौरान हिमाचल प्रदेश को प्राकृतिक आपदा का सामना करना पडा। राज्य में आई आपदा से सिरमौर जिला भी अछूता न रहा और जिला ने बहुत नुकसान झेला। इस आपदा के दौरान जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा क्रियाशील एवं राहत केन्द्रित दृष्टिकोण अपनाते हुए सराहनीय कार्य किया गया। जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा वर्ष 2023 की आपदा में त्वरित कार्रवाई, आपदा के लिए किए गए पुर्वाभ्यास व आधुनिक उपकरणों की उपलब्धता के कारण संभव हो पाया। भविष्य में भी आपदा की परिस्थिति से निपटने के लिए जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा आपदा प्रबंधन को सुदृढ़ करने के निरंतर प्रयास किए जा रहे है।

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