शिमला : अठारह व बारह ठकरेईयो के ज्येष्ठ देवता अठारह दिसंबर से धवाला यात्रा पर

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शिमला (विकास शर्मा/ब्यूरो चीफ),

अठाराह ठकरेईयो और बारह ठकरेईयो के सबसे प्राचीन देवता श्री चिखड़ेश्वर महाराज अठारह दिसंबर से धवाला यात्रा पर निकल रहे है। इस बार ये यात्रा पूरे इक्कीस दिन चलेगी और देवता महाराज जी के साथ हजारों लोग इस यात्रा में शामिल होंगे। ये यात्रा तीन साल बाद होती है और देवता महाराज अपनी पालकी में बैठ इस यात्रा को पूरा करते है। अठाराह दिसंबर को सुबह ग्यारह बजे देवता महाराज इस यात्रा के लिए अपनी मूल देवठी व उत्पत्ती स्थल चिखड़ से निकलेंगे और शाम को देवता जदराई जी की देवठी झगेड़ी पहुंचेगे। शाम को देवता जी झगेड़ी मे स्तिथ प्राचीन डीम में रुकेंगे। अगले दिन उन्नीस दिसंबर को देवता महाराज झगेड़ी से परगना खगालद की यात्रा करते हुए दिन के समय जनोटी गाँव पहुंचेगे। जनोटी गाँव मे कुछ समय विश्राम करने के बाद देवता महाराज फिर से यात्रा शुरू करेंगे और शाम को तुंगन गाँव पहुंचेगे। तुंगन गाँव मे रात्री ठहराव कर अगले दिन बीस दिसंबर को देवता महाराज तुंगन से धर्माई व नेरा गाँव होते हुए दिन के समय राज दरबार सैंज पहुंचेगे। यहाँ कुछ समय तक विश्राम करने के बाद देवता महाराज मदोग गाँव होते हुए शाम को बलगार गाँव पहुंचेगे। रात्री में बलगार गाँव मे विश्राम कर देवता महाराज सुबह इक्कीस दिसंबर को बलगार गाँव से सीधा बासा-कोटी पहुंचेगे और शाम को देवता महाराज महाराज आसपास के सभी गाँव की यात्रा करते हुए परगना जैस के कछेर गाँव पहुंचेगे। कछेर में रात्री विश्राम कर देवता महाराज सुबह बाइस दिसंबर को कछेर से अपनी आगे की यात्रा शुरू करेंगे। देवता महाराज बाइस दिसंबर की सुबह माँ जैईश्वरी जी की देवठी जैस पहुंचेगे औऱ दिन को अपनी जनोग देवठी होते हुए ठियोग बाजार के जनोग घाट, प्रेमघाट, शाली बाजार, नया बाजार और कोर्ट कोलोनी की यात्रा कर शाम को ठियोग के नए बाजार के साथ लगते रशेली गाँव मे रुकेंगे। अगले दिन टैइस दिसंबर को देवता महाराज रशेली से छैईधाला व रहीघाट होते हुए शाम को अपने पुरोहितों के गाँव टिक्कर पहुंचेगे। इस से अगले दिन चौबीस दिसंबर को देवता महाराज टिक्कर गाँव के आसपास के गाँव सेरी, रोखड़ी बाव का दौरा करते हुए शाम को नेरी गाँव पहुंचेगे। अगली सुबह पच्चीस दिसंबर को देवता महाराज जी नेरी से जुग्गो गाँव व जुग्गो के आसपास के गाँव होते हुए शाम को कीट गाँव पहुंचेगे। कीट गाँव मे रात्री ठहराव कर देवता महाराज छब्बीस दिसंबर को तुंगला गाँव और आलौ गाँव के साथ आसपास के सभी गाँव का दौरा करेंगे। अपना दौर समाप्त कर देवता महाराज छब्बीस दिसंबर की शाम को बलोवा गाँव पहुंचेगे और यही रात्री ठहराव करेगे। अगले दिन सत्ताइस दिसंबर को देवता महाराज बालोवा गाँव से यात्रा करते हुए शाम को भड़ियाना गाँव पहुंचेगे। ड़ियाना से यात्रा अगले दिन शुरू होगी और ये यात्रा अठाइस दिसंबर को धनोट गाँव, जुब्बड़ गाँव होती हुई शाम को कुनली गाँव पहुंचेगी। कुनली गाँव से आगे की यात्रा उनतीस दिसंबर को शुरू होगी और पूरा दिन यात्रा कर देवता महाराज शाम को परगना घवालती के भलेच गाँव पहुंचेगे। इस दिन देवता महाराज बरेलती गाँव, सरिवन गाँव और भलेच गाँव के सभी आसपास के गाँव की यात्रा करेंगे। इसी दिन देवता महाराज देवी मोड़ स्तिथ माता रानी के मंदिर भी पहुंचेगे। अगले दिन देवता महाराज तीस दिसंबर को भलेच से जदेवग गाँव पहुंचेगे और रात्री ठहराव जदेवग में कर देवता महाराज इकत्तीस दिसंबर की शाम गवाई गाँव पहुंचेगे। अगले दिन देवता महाराज एक जनवरी को संधू गाँव होते हुए डकाना गाँव पहुंचेगे। रात्री में देवता डकाना में ही रुकेंगे और दो जनवरी को डकाना गाँव से कथाल गाँव पहुंचेगे। इसके अगले दिन तीन जनवरी को देवता महाराज परगना पजैंरो में प्रवेश करेंगे। चार दिन परगना पजैंरो की यात्रा कर देवता महाराज सात जनवरी को दिन के समय अपनी देवठी चिखड़ पहुंचेगे और अपने पवित्र डीम में विराजमान हो जाएंगे। अगले दिन आठ जनवरी को देवता महाराज जी की देवठी में विशाल भंडारा होगा जिस भंडारे में हजारों लोग भोग ग्रहण करेंगे। इसी दिन यात्रा का विधिवत समापन्न होगा। अब ये यात्रा तीन साल बाद होगी।

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