निरमंड (लीला चन्द जोशी/संवाददाता),
हिमाचल विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने का दौर 25 अक्टूबर को खत्म हो चुका है और 29 को नामांकन की वापसी है। ऐसे में जिला कुल्लू की आनी विधानसभा सीट अब हॉट सीट बन गई है। जिससे कांग्रेस, बीजेपी की बागियों ने मुश्किलें बढ़ा दी है। दोनों ही पार्टियों में बगावत जारी है। जिसके चलते दोनों दलों के प्रत्याशियों की आनी विधानसभा चुनावों में मुश्किल बढ़ गई है। ऐसे में अब देखना होगा कि कांग्रेस और भाजपा बागी नेताओं को मनाने में कितना सफल होती है। आनी विधानसभा की अगर बात करें तो यहां पर काग्रेस ने बंसी लाल को चुनाव मैदान में उतारा है जबकि कांग्रेस से बागी हुए पूर्व कांग्रेस प्रत्याशी परस राम ने आज़ाद चुनाव लड़ने का फैसला लिया। और 25 अक्टूबर को बागी परस राम ने आज़ाद नामांकन भरा। कांग्रेस से बागी हुए परस राम के पक्ष में जिला कांग्रेस अध्यक्ष कुल्लू बुद्धि सिंह ठाकुर, जिला परिषद अध्यक्ष कुल्लू पंकज परमार,महिला कांग्रेस अध्यक्ष आनी सीमा वर्मा, पंचायत समिति अध्यक्ष आनी विजय कंवर, पूर्व मंडला अध्यक्ष आनी उत्तम ठाकुर, हिमाचल युवा कांग्रेस के महासचिव गोविंद शर्मा,युवा कांग्रेस अध्यक्ष अजीत ठाकुर,पूर्व युवा कांग्रेस अधक्ष ओम प्रकाश ठाकुर सहित कई सैकड़ों कार्यकर्ता चुनाव मैदान में कूद पड़े हैं। वहीं दूसरी ओर भाजपा ने लोकेंद्र कुमार को अपना प्रत्याशी बनाया है और मौजूदा विधायक किशोरी लाल सागर का टिकट काटने के बाद बागी विधायक किशोरी लाल सागर ने निरमंड अंबेडकर भवन में कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की जिसमे किशोरी लाल सागर के समर्थकों ने आज़ाद चुनाव लडने का फैसला किया और नाराज़ किशोरी लाल सागर ने पार्टी से बगावत कर ली और आज़ाद प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में कूद गए हैं। भाजपा से बागी विधायक किशोरी लाल सागर के समर्थन में पूर्व मंडला अध्यक्ष कुशाल चौहान, पूर्व मंडला अध्यक्ष राम लाल ठाकुर,पूर्व मंडला अध्यक्ष महेंद्र ठाकुर सहित कई सैकड़ों कार्यकर्ता का समर्थन मिल रहा है।हालांकि यहां दोनों दलों से बागी हुए नेताओं को पार्टी के द्वारा मानने का दौर जारी है,लेकिन बागी हुए नेता किसी भी सूरत में मानने तो तैयार नहीं है। ऐसे में आनी विधानसभा क्षेत्र में अब मुकाबला रोचक हो गया है। अब देखना यह होगा को कौन सी पार्टी अपने बागी हुए नेता को मनाने में कामयाब होती हैं। लिहाजा दोनों पार्टियों से बागी नेताओं के मैदान में आने से कांग्रेस और भाजपा दोनों के ही राजनीतिक समीकरण बदल गए हैं।