राजगढ़ (पवन तोमर/ब्यूरो चीफ)
इटरनल यूनिवर्सिटी के अकाल कॉलेज ऑफ़ नर्सिंग में शुक्रवार को दसवे दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन का शुभारभ किया गया | यू इस ऐ की ड्रेक्सेल यूनिवर्सिटी के सहयोग से सम्मलेन का आयोजन किया गया | डॉ. जिल बी दरसतीन, पूर्व एसोसिएट क्लीनिकल प्रोफेसर ड्रेक्सल यूनिवर्सिटी सम्मेलन के मुख्य अतिथि रहे| सम्मलेन के मुख्य विषय फोरेंसिक नर्सिंग के उन्नत अभ्यासों पर देश भर से आये नर्सिंग विशेषज्ञों व यू इस ऐ के नर्सिंग विशेषज्ञों ने चर्चा की|
सम्मेलन के पहले चरण में पंजाब से आये डॉ. राकेश कुमार गोरिया ने सामान्यवादी फोरेंसिक नर्स व् उन्नत फोरेंसिक नर्स की विभिन्न भूमिकाओं को उजागर किया | आयी जी एम सी शिमला की पूर्व नर्सिंग रेजिस्टरर डॉ. सुनीता वर्मा ने लिंग आधारित हिंसा पर अपने विचार सांझा किये | उन्होंने बताया लिंग आधारित हिंसा दुनिया में सबसे व्यापक लेकिन सबसे कम दिखाई देने वाला मानवाधिकार उल्लंघन है। इसमें पुरुषों और महिलाओं के बीच सामाजिक रूप से निर्धारित शक्ति असंतुलन के कारण किसी व्यक्ति को हुई शारीरिक, यौन, मानसिक या आर्थिक क्षति शामिल है। दूसरे चरण में ड्रेक्सेल यूनिवर्सिटी की क्लीनिकल प्रोफेसर सैंड्रा फ्रीडमान ने बताया फॉरेंसिक नर्स यौन हमलो के मामलों का आकलन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है | ऐसे मामलो में फोरेंसिक नर्स घटना का एक चिकित्सा कानूनी इतिहास, रोगी का चिकित्सा इतिहास एकत्र करती है और क्षमता का आकलन पूरा करती है, साथ ही निष्कर्षों का दस्तावेजीकरण करना भी फॉरेंसिक नर्स की जिम्मेदारी होती है | जम्मू कश्मीर से आये प्रोफेसर मेहमूदा रेगु ने सभी प्रतिभागियों को आघात सूचित देखभाल के बारीकियों से अवगत कराया| उन्होंने बताया फोरेंसिक नर्सों के लिए, रोगी के आघात होने के मूल कारणों को समझना एक प्रारंभिक कदम है जो पूरे शरीर की चिकित्सा का समर्थन करता है | सम्मलेन में देश के 12 राज्यों हिमाचल प्रदेश, पंजाब, पश्चिम बंगाल, जम्मू कश्मीर, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, केरला, उत्तराखण्डं, लक्षदीप, दिल्ली , राजस्थान और चंडीगढ़ के कुल 600 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया|