शिमला : एसएफआई 07 जुलाई को करेगी राजभवन का घेराव

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शिमला (विकास शर्मा/ब्यूरो चीफ),

07 जुलाई को एसएफआई तमाम छात्र समुदाय को लामबंद करते हुए राजभवन घेराव करेगी। एस एफ आई का मानना है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीती संसद में चर्चा किए बिना आपातकाल की स्तिथि में आरएसएस के एजेंडे को साकार करने के लिए तानाशाही तरीके से थोपी गई है। जिससे आम छात्रों को शिक्षा से दूर करने के साथ साथ वैज्ञानिक दृष्टिकोण से दूर करते हुए उनमें सांप्रदायिक भाव भरने और भगवाकरण करने की नीति केंद्र सरकार द्वारा गढ़ी गई है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में केंद्र सरकार द्वारा अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति को आरक्षण देने का जिक्र तक नहीं किया गया है। जिससे साफ झलकता है कि केंद्र सरकार अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति को शिक्षा से कोसो दूर रखने का काम कर रही है। इसके साथ शोध के ऊपर भी केंद्र सरकार इस शिक्षा नीति के माध्यम से हमला कर रही है। जहां शोध को बढ़ावा देने के छात्रों की छात्रवृत्ति बढ़ानी चाहिए थी वहीं उससे उल्ट केंद्र सरकार उसको राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से बंद कर रही है। शिक्षा का स्वरूप वैज्ञानिक और प्रगतिशील होता है। लेकिन राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से उसके ऊपर भी हमले किए जा रहे है। मनुस्मृति और अन्य अवैज्ञानिक पाठ्यक्रमों को शामिल करके केंद्र सरकार छात्रों को अवैज्ञानिक और रूढ़िवादिता की ओर धकेलने का काम कर रही है। इसलिए एस एफ आई का मानना है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति छात्र विरोधी होने साथ साथ प्रगतिशील समाज विरोधी भी इसलिए एस एफ आई केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा थोपी गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का विरोध करती है और शिक्षा नीति कैसी होनी चाहिए “वैकल्पिक शिक्षा नीति” का ड्राफ्ट प्रदेश व केंद्र सरकार को सौंप चुकी है और इसके साथ साथ हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में प्रोफेसर भर्ती में बहुत बड़े स्तर पर फर्जी भर्तियां हुई थी । जिसका एस एफ आई तब से लेकर निष्पक्ष जांच की मांग कर रही है । लेकिन नई सरकार ने भी इस कोई कड़ा रुख नहीं अपनाया है।

लेकिन माननीय राज्यपाल विश्वविद्यालय के चांसलर भी है। इस मामले में माननीय राज्यपाल महोदय से उम्मीद और अपील करते हैं कि वो फर्जी भर्ती मामले को गंभीरता ले और इसमें संलिप्त  आरोपियों पर जल्द से जल्द  करवाई करे। इसके साथ साथ पूरे प्रदेश भर के 70% महाविद्यालय (104) ऐसे हैं जहां पर कोई प्रधानाचार्य  नहीं है। और   प्रोफेसरों के पद भी रिक्त पड़े है। इनमे हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला भी है। जहां अभी तक कुलपति का पद रिक्त पड़ा है। रिक्त पड़े पदों के कारण शिक्षा की गुणवत्ता के स्तर में गिरावट आ रही है। लेकिन प्रदेश सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही। एस एफ आई का मानना है कि रिक्त पड़े पदों को जल्द जल्द भरा जाए और इसके साथ साथ छात्रों के जनवादी अधिकार छात्र संघ चुनाव को जल्द से जल्द बहाल किया जाए। चुना हुए छात्र संघ प्रशासन और छात्रों के बीच ब्रिज का काम करता है और छात्रों की समस्याओं सीधे तौर हल करने के प्रशासन के समक्ष रखने का करता है। लेकिन छात्रों से उनका यह जनवादी अधिकार भी 2014 में उस समय सत्तासीन कांग्रेस सरकार ने छीन लिया था और अभी तक किसी भी सरकार ने बहाल नहीं किया। हमारा देश जो पूरी दुनिया में सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। उस देश में सबके चुनाव बहाल है। लेकिन छात्रों के लोकतांत्रिक जनवादी अधिकार को बहाल नहीं किया जा रहा। इन तमाम मांगो को लेकर एस एफ आई 07 जुलाई को उग्र प्रदर्शन करते हुए राज्यपाल भवन का घेराव करेगी ।

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