ब्यूरो रिपोर्ट सोलन
हिमाचल प्रदेश के फार्मा हब माने जाने वाले बद्दी क्षेत्र से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। यहां बनीं 57 दवाइयों के सैंपल गुणवत्ता जांच में फेल हो गए हैं। इन दवाओं में कई ऐसे नाम शामिल हैं जो आमतौर पर अस्पतालों और मेडिकल स्टोर्स पर आसानी से उपलब्ध हैं।जिन प्रमुख दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं, उनमें “अल्मोक्स-500 कैप्सूल” भी शामिल है, जो निमोनिया और अन्य संक्रमणों के इलाज में उपयोग होती है। इसके अलावा “लिक्विड पेरासिटामोल”, जो बुखार और दर्द में दी जाती है, तथा “सोडियम क्लोराइड इंजेक्शन”, जो शरीर में पानी और नमक की कमी को पूरा करता है, भी मानकों पर खरी नहीं उतरीं।”रबेप्राजोल इंजेक्शन”, जो पेट के अल्सर के इलाज में कारगर मानी जाती है, उसका सैंपल भी गुणवत्ता परीक्षण में असफल पाया गया।इस खुलासे के बाद स्वास्थ्य विभाग और दवा नियंत्रण संस्थाओं में हलचल मच गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि खराब गुणवत्ता की दवाइयां न सिर्फ इलाज को प्रभावित करती हैं, बल्कि मरीजों की सेहत पर गंभीर खतरा भी बन सकती हैं।अब सवाल यह उठता है कि क्या फार्मा हब कहे जाने वाले हिमाचल के औद्योगिक क्षेत्र में बनने वाली दवाओं की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे हैं? और जिम्मेदार कौन है?