संस्कृति को सहेजने में लोक गायक इंद्रजीत का अहम योगदान

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पहाड़ी संस्कृति को सहेजने पर राज्यपाल से हुई गहन चर्चा
लोक गायक इंद्रजीत ने की राज्यपाल से शिष्टाचार भेंट

कुल्लू (आशा डोगरा, सब एडिटर),

हिमाचल की संस्कृति को सहेजने वाले प्रसिद्ध लोक गायक इंद्रजीत ने शनिवार को राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल से शिष्टाचार भेंट की। इस दौरान उन्होंने राज्यपाल से कई अहम मुद्दों पर भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि वह हिमाचल की संस्कृति को सहेजने का शुरू से प्रयास करते आ रहे हैं। गीत संगीत के साथ-साथ हिमाचल की मिट्टी, उसकी बोली, टोपी और संस्कृति को हमेशा संजोने का कार्य किया है।जब भी वह किसी स्टेज पर जाते हैं तो संस्कार, सभ्यता, कला, भाषा, वस्त्र व जीवन दर्शन उसकी संस्कृति कहलाती है। इसी झलक को वह हमेशा आगे लाने का प्रयास करते हैं। इंद्रजीत ने बताया कि पहले उन्होंने अपनी संस्कृति में पहनावे से लोगों को रू-ब-रू करवाया। इसके साथ साथ टीपी की भी अलग पहचान करवाई। हालांकि कुल्लवी टोपी देश दुनिया में प्रसिद्ध है लेकिन इसकी अलग अलग पहचान को भी लोगों के बीच में लाया। बीच में टोपी पर लगी मोर की कलगी को हटाने के लिए एक चांदी की कलगी लाई। जिसके बाद लोगों ने भी इस कलगी को बेहद पसंद किया। आज यह भी पहचान बन चुकी है। हर गीत में संस्कृति को सहेजने का प्रयास किया। इस सब बातों को सुनकर राज्यपाल प्रसन्न हुए। उन्होंने कहा कि इस बारे में पहले से मुझे ज्ञात था। लेकिन आगे भी आप इसी प्रकार से अपनी संस्कृति को सहेजने का प्रयास जारी रखें। गैर रहे कि हिमाचल ही नहीं अन्य राज्यों में भी जब संस्कृति को सहेजने की बात होती है तो इंद्रजीत का नाम पहले आता है। उन्होंने विलुप्त होती जा रही लोक संस्कृति को एक नया जीवन दिया। अपने शब्दों और सुरों के माध्यम से इस पर कार्य किया। 2016 में आया उनका सुपरहिट गीत ‘हाड़े मेरे मामुआ’, जिसने उन्हें घर-घर में पहचान दिलाई।

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