बॉक्सिंग में ब्लॉक स्तर से लेकर नेशनल तक निशा ने जीते अनेकों मेडल

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राजगढ़ (पवन तोमर, ब्यूरो चीफ),

यदि मनुष्य में किसी कार्य करने की दृढ़ इच्छा और लग्न हो तो निश्चित रूप से सफलता एक न एक दिन उसके दरवाजे पर दस्तक जरूर देती है । ऐसी ही एक कहानी है एक युवा बॉक्सिंग महिला खिलाड़ी निशा की । जिसके शौक ने उन्हें ब्लॉक स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक अनेक स्थानों पर अपने जौहर दिखाने का मौका मिला है । साधारण परिवार में जन्मी निशा ने पढ़ाई के दौरान बॉक्ंिसग में जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर शानदार प्र्रदर्शन करके अनेकों बार गोल्ड, सिल्वर और कांस्य पदक जीतकर पाठशाला व क्षेत्र का नाम रोशन किया है।


निशा देवी मूलतः राजगढ़ ब्लॉक के शरेउत देवठी मंझगांव की रहने वाली है । इनकी प्रारंभिक शिक्षा शरेउत में तथा 12वीं कक्षा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला देवठी मंझगांव से उतीर्ण की है । वैसे तो स्कूल में निशा बॉलीबाल, खोखो, बैडमिंटन खेला करती थी परंतु कबडडी और बॉक्ंिसग मंें इनकी बहुत रूचि थी । निशा की शादी पीरन के छनाटी में हुई है ।
निशा ने वर्ष 2016 में मध्यप्रदेश के ग्वालियर में ंआयोजित राष्ट्रीय स्तर की बॉक्ंिसग प्रतियोगिता में भाग लिया था जहां पर इन्होने 62 किलोग्राम वजन में कांस्य पदक हासिल कर प्रदेश का गौरव बढ़ाया था । वर्ष 2015 में निशा ने मंडी के करसोग में आयोजित राज्य स्तरीय बॉक्ंिसग प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन करने पर गोल्ड मेडल से नवाजा गया था । जिसके चलते इनका चयन राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता के लिए हुआ था । बता दें सबसे पहले निशा ने दसवी कक्षा में पढ़ने के दौरान धर्मशाला में राज्य स्तरीय बॉक्ंिसग प्रतियोगिता में तीसरा स्थान प्राप्त किया था । इसके अतिरिक्त इन्होने सुन्दरनगर , धर्मशाला, सिरमौेर में ब्लॉक व जिला स्तर की प्रतियोगिताओं में अनेकों ंबार प्रथम स्थान प्राप्त किया ।


12वीं की परीक्षा उतीर्ण करने के उपरांत निशा ने चंडीगढ़ के गुरू गोविंद सिंह महिला कॉलेज में एडमिशन ली । जहां पर इन्होने इंटर कॉलेज और इंटर विश्वविद्यालय की बॉक्ंिसग प्रतियोगिता में भाग लेकर अनेकों बार 66 किलोग्राम वजन में पुरस्कार व मैडल जीते हैं । निशा ने बताया कि वह अंतराष्ट्रीय स्तर की बॉक्ंिसग खिलाड़ी बनना चाहती थी परंतु घर की प्रतिकूल परिस्थितियों के चलते उन्हेें बीए द्वितीय वर्ष करने के उपरांत पढ़ाई छोड़नी पड़ी जिससे उनका अंतराष्ट्रीय स्तर पर भाग लेने का सपना अधूरा की रह गया । जिसका मलाल उन्हें सारी उम्र रहेगा ।

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