सराहां (अशोक चौहान, संवाददाता),
राजकीय महाविद्यालय संगड़ाह के इतिहास विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. संदीप कुमार कनिष्क ने अपनी शैक्षिक और शोधपरक यात्रा में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। एक ही समय में उनकी दो किताबों का प्रकाशन हुआ है, जिसने अकादमिक जगत में उन्हें विशेष पहचान दिलाई है। पहली पुस्तक “भारतीय चित्रकला का इतिहास: पाषाण काल से औपनिवेशिक काल” है। इस पुस्तक में भारतीय चित्रकला की जड़ों से लेकर उसके आधुनिक स्वरूप तक का विस्तार से वर्णन किया गया है। इसमें पाषाणकालीन शैल चित्रों, अजंता भित्ति चित्रकला, हिलायन क्षेत्र की शैल चित्रकला, पहाड़ी, मुगल और राजपूत चित्रकला से लेकर औपनिवेशिक कालीन चित्रकला तक के विकास को ऐतिहासिक तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया है।
दूसरी पुस्तक “भारतीय चित्रकला: इतिहास, परम्परा और नवाचार” शीर्षक से प्रकाशित हुई है। इस पुस्तक की विशेषता यह है कि इसमें केवल भारतीय चित्रकला ही नहीं बल्कि विश्व स्तर पर चित्रकला के विकास, परंपराओं और नवीन प्रयोगों का भी विस्तृत उल्लेख किया गया है। इससे यह पुस्तक शोधार्थियों, विद्यार्थियों और कला प्रेमियों के लिए एक उपयोगी संदर्भग्रंथ सिद्ध होगी।
दोनों ही पुस्तकें फिलहाल अमेज़न और फ्लिपकार्ट जैसे प्रमुख ऑनलाइन प्लेटफार्मों पर उपलब्ध हैं, जिससे देश-विदेश के पाठक इनका लाभ उठा सकते हैं। यह उपलब्धि संदीप कुमार कनिष्क की अब तक की साहित्यिक और अकादमिक यात्रा की निरंतरता है। इससे पहले वे चार महत्वपूर्ण पुस्तकें लिख चुके हैं जिनमें प्रमुख हैं—“भारतीय इतिहास और संस्कृति” (2017), “पुरातत्व: एक परिचय” (2018), “जेंडर एंड एजुकेशन” (2018), “मौखिकता और भारत का मौखिक इतिहास” (2019), कनिष्क ने इन दोनों पुस्तकों पर पिछले दो वर्षों तक गहन शोध और लेखन कार्य किया। उन्होंने अपने इस प्रोजेक्ट को अपनी अकादमिक प्रतिबद्धता और शोध कार्य के साथ संतुलित रखते हुए पूरा किया।
संदीप कुमार कनिष्क राजगढ़ सिरमौर के बेहड़ गांव के स्थानीय निवासी हैं और पिछले दस वर्षों से अलग अलग महाविद्यालय में इन्होंने अपनी सेवाएं दी है और निरंतर शोध, लेखन व शैक्षणिक गतिविधियों से जुड़े हुए हैं। वे हिमाचल विश्वविद्यालय से एम.फिल. शोध में स्वर्ण पदक प्राप्तकर्ता भी रह चुके हैं। उनकी यह उपलब्धि न केवल महाविद्यालय बल्कि संपूर्ण क्षेत्र के लिए गर्व की बात है। कला, इतिहास और संस्कृति के क्षेत्र में उनका योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा।