भूमि विवाद पर जल शक्ति विभाग का बयान — जबरन कब्जे के आरोप निराधार

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राजगढ़ (पवन तोमर, ब्यूरो चीफ),

हाल ही में जल शक्ति विभाग राजगढ़ के अधिशाषी अभियंता पर लगाए गए भूमि कब्जे के आरोपों को विभाग ने सिरे से खारिज करते हुए इसे तथ्यहीन और भ्रामक बताया है। विभाग का कहना है कि जिस भूमि पर विवाद बताया जा रहा है, वह वर्षों से विभागीय कार्यों व सार्वजनिक हित में उपयोग में लाई जा रही थी और इस पर जबरन कब्जे का कोई प्रयास नहीं किया गया है।विभाग के अनुसार, कुछ व्यक्तियों द्वारा जानबूझकर विभागीय संपत्ति से जुड़े सार्वजनिक रास्ते को अवरुद्ध कर गतिविधियों में बाधा डाली जा रही है। यह रास्ता जल शक्ति विभाग के उपमंडल कार्यालय सहित अन्य महत्वपूर्ण संस्थानों तक जाता है, जिसका प्रतिदिन कर्मचारियों, छात्रों व आमजन द्वारा उपयोग किया जाता रहा है।विभाग ने स्पष्ट किया है कि यह मामला फिलहाल प्रशासनिक स्तर पर विचाराधीन है और विभाग राजस्व दस्तावेजों से संबंधित किसी भी जांच में सहयोग के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। विभाग ने यह भी स्पष्ट किया कि वह सभी कार्य कानून के दायरे में रहकर कर रहा है और किसी भी प्रकार का अवैध दबाव राजस्व अधिकारियों पर नहीं बनाया जा रहा। विभाग ने गंभीर आपत्ति जताते हुए कहा है कि गत 15 जून रविवार को उक्त सार्वजनिक रास्ते को निजी व्यक्ति द्वारा क्षतिग्रस्त कर दिया गया, जिससे आम लोगों के साथ-साथ विभागीय कार्यों में भी भारी असुविधा उत्पन्न हुई। यह रास्ता दशकों से उपयोग में लाया जा रहा था।
इस संबंध में जल शक्ति विभाग द्वारा पहले ही दिनांक 24 अप्रैल और 30 मई को उपमण्डलाधिकारी (ना.) राजगढ़ एवं थाना प्रभारी राजगढ़ को संभावित अवरोध की आशंका से अवगत करवा दिया गया था, किंतु समय रहते कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए जाने के कारण यह घटना घटित हुई। अधीशासी अभियंता जल शक्ति विभाग जोगिंदर चौहान ने स्पष्ट किया है कि वह विभाग की लड़ाई लड़ रहे है और किसी के भी वैध अधिकारों का हनन नहीं कर रहे। विभाग अपने दायित्वों और जनहित को ध्यान में रखते हुए काम कर रहा है।

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