ददाहू (हेमंत चौहान, संवाददाता),
भारतीय इतिहास की महान महिला शासक महारानी अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती के उपलक्ष्य में आर वी एन सीनियर सेकेंडरी पब्लिक स्कूल, ददाहू में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम भारतीय जनता पार्टी द्वारा आयोजित 21 मई से 31 मई तक चल रहे विशेष सप्ताह का हिस्सा है, जिसके अंतर्गत जिले के विभिन्न विद्यालयों व सार्वजनिक स्थलों पर इस महापुरुष के योगदान को याद किया जा रहा है। कार्यक्रम में जिला परिषद अध्यक्ष सीमा कल्याण एवं बीडीसी अध्यक्ष अनीता शर्मा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं। कार्यक्रम का संचालन विद्यालय के प्रबंधक राजेंद्र ठाकुर द्वारा किया गया।
इस अवसर पर संगोष्ठी व भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें विद्यार्थियों ने महारानी अहिल्याबाई होलकर के जीवन पर प्रेरणादायक विचार प्रस्तुत किए। प्रतियोगिता में छवि ने प्रथम स्थान, अनुष्का शर्मा ने द्वितीय स्थान, तथा चेष्टा वालिया ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। मुख्य अतिथियों द्वारा विजयी विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया। अपने संबोधन में सीमा कल्याण ने विद्यार्थियों को महारानी अहिल्याबाई होलकर के जीवन और कार्यों से अवगत करवाया। उन्होंने कहा कि अहिल्याबाई होलकर का जीवन त्याग, सेवा, प्रशासनिक कुशलता और न्यायप्रियता का अनुपम उदाहरण है। वहीं अनीता शर्मा ने बच्चों को नशे से दूर रहने और अनुशासित जीवन जीने की प्रेरणा दी।







विद्यालय प्रबंधक राजेंद्र ठाकुर ने मुख्य अतिथियों का आभार प्रकट करते हुए कहा कि ऐसे आयोजनों से बच्चों को इतिहास की महान विभूतियों से सीखने का अवसर मिलता है और वे उनके पदचिन्हों पर चलने के लिए प्रेरित होते हैं। उन्होने बताया कि अहिल्याबाई होलकर का जन्म 31 मई 1725 को महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के चौंडी गाँव में हुआ। वे एक सामान्य परिवार से थीं, परंतु बचपन से ही उनमें सेवा, करुणा और नेतृत्व के गुण थे। उन्होंने 1767 से 1795 तक मालवा (वर्तमान मध्य प्रदेश) की रियासत पर शासन किया।उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर, द्वारका, सोमनाथ, रामेश्वरम, गंगा घाट, मथुरा-वृंदावन सहित कई धार्मिक स्थलों का जीर्णोद्धार करवाया।13 अगस्त 1795 को इस संसार से विदा हो गईं, लेकिन उनके कार्य आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं। महारानी अहिल्याबाई होलकर का जीवन आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अमिट प्रकाशपुंज के समान है।