शिमला में यूथ इंलाइटमेंट सोसाइटी की ओर से रक्तादान व अंगदान जागरूकता शिवर आयोजित हुआ। इसमें लोगों को रक्तदान के साथ अंगदान की महत्वता के बारे में जागरूक किया गया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने सोटो का स्टाल विजिट करके अंगदान के बारे में जानकारी हासिल की। सोटो की आईईसी कंसल्टेंट रामेश्वरी व प्रोग्राम असिस्टेंट भारती कश्यप ने लोगों को बताया किदेश में प्रतिदिन 6000 रोगी अंग ना मिलने के कारण अपनी जिंदगी गवां रहे हैं। जीवन शैली खराब होने के कारण अधिकतर लोग गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। जिससे शरीर के अंग खराब हो रहे हैं। ऐसे में ऑर्गन ट्रांसप्लांट उनके पास एक विकल्प के रूप में रह जाता है। लोगों में अंगदान के प्रति जागरूकता ना होने के कारण योग्य होते हुए भी लोग अंगदान करने से कतराते हैं। उन्होंने बताया कि ब्रेन डेड व्यक्ति एक समय में आठ लोगों की जिंदगी बचा सकता है। मरीज के ब्रेन डेड होने के बाद यह प्रक्रिया अपनाई जा सकती है। अस्पताल में मरीज को निगरानी में रखा जाता है और विशेष कमेटी मरीज को ब्रेन डेड घोषित करती है ।मृतक के अंग लेने के लिए स्वजनों की सहमति जरूरी होती है। उन्होंने लोगों से अपील की कि सोटो हिमाचल की इस मुहीम को आगे बढ़ाने में सहयोग करें , अंगदान करने के लिए लोग अपनी इच्छा जाहिर करें और रिश्तेदारों को भी इस पुनीत कार्य में जोड़ें। शिवर में डीडीयू अस्पताल से डॉ गंगा सहित अन्य लोग मौजूद रहे।बॉक्स क्या है ब्रेन स्टेम डेथब्रेन जीवन को बनाए रखने के लिए मस्तिष्क का महत्वपूर्ण हिस्सा है। ब्रेन डेड व्यक्ति सांस लेने के लिए वेंटिलेटर पर निर्भर होता है। ब्रेन का कार्य न करना मृत्यु का लक्षण है। मस्तिष्क में क्षति पहुंचाने का कारण ऐसी स्थिति होती है। इस प्रकार के रोगी को ब्रेन डेड घोषित किया जाता है। कोमा रोगियों व ब्रेन डेड रोगियों के बीच में अंतर होता है। कोमा में मरीज मृत नहीं होता जबकि ब्रेन डेड व्यक्ति की स्थिति इससे अलग रहती है। ब्रेन डेड मरीज़ का हृदय कुछ घंटे या कुछ दिन के लिए वेंटीलेटर की वजह से कार्य कर सकता है ।इस अवधि के दौरान रिश्तेदारों की सहमति से अंग लिए जा सकते हैं।