ददाहु (हेमंत चौहान, संवाददाता),
गुरु शिष्य परम्परा हमारी संस्कृति में ज्ञान और शिक्षा की परिचायक है। ये कहा जाता है कि गुरु के विना ज्ञान नहीं है। ये बात जिला सिरमौर में सार्थक सिद्ध होती नजर आ रही है। पहले तो सिरमौर में गिरिपार जैसे पिछड़े हुए क्षेत्र हैं जहां विद्यालय ही बहुत कम है और यदि है तो बहुत दूर दूर है और आधिकांश शिक्षकों के पद उनमें भी खाली है। उन क्षेत्रों से राजनेतिक हस्तक्षेप पर बेरोकटोक तबादले किए जा रहे हैं, जहां शिक्षक नौकरी करने से भी कतराते हैं। बहुत सारे समाज सेवी, और समाजिक संस्थाएं सोशल मीडिया के माध्यम से इस मुद्दे को पहले भी उठा चुके हैं, और विशेषकर सिरमौर में यह चर्चा का विषय रहा है।
अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ जिला सिरमौर ईकाई के अध्यक्ष कपिल मोहन ठाकुर, प्रशिक्षित स्नातक संवर्ग हिमाचल प्रान्त के उपाध्यक्ष विजय कंवर, जिला महामंत्री दीपक त्रिपाठी, ज़िला संगठन मंत्री श्यामलाल भटनागर, ऋषिपाल शर्मा, मामराज चौधरी, राधेश्याम शास्त्री, शिवानी शर्मा, मोहन ठाकुर, रत्न शर्मा, राजेश शर्मा, विजेश पुंडीर आदि संघ के पदाधिकारियों ने संयुक्त ब्यान में कहा है कि पूरे प्रदेश की यदि बात की जाए तो 455 प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय ऐसे हैं जिनमें नियमित शिक्षक ही नहीं है और 3148 विद्यालय मात्र एक शिक्षक के सहारे चल रहे हैं। कभी हिमाचल प्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में प्रथम स्थान पर होता था जो अब ग्यारहवें पायदान पर पहुंच गया है। कहीं न कहीं इसके लिए सरकारें जिम्मेवार है।सिरमौर में शिक्षा का आधारभूत ढांचा ही हिल गया है। जिले के आधिकांश स्कूल शिक्षकों के बिना खाली है। बहुत सारे विद्यालय ऐसे हैं जो एसएमसी पर नियुक्त शिक्षकों के सहारे चल रहे है। इस क्षेत्र में पहले ही शिक्षक नौकरी करने से बचते हैं, लेकिन फिर भी राजनैतिक हस्तक्षेप के चलते बहुत बड़ी संख्या में शिक्षकों का यहां से प्रदेश के अन्य जिलों में तबादला कर दिया गया है। जिससे शिक्षकों के बड़ी संख्या में पद खाली हो गए हैं। जबकि बदले मे न तो नई नियुक्ति से और न ही स्थानांतरण से शिक्षकों के कोई पद भरे जा रहे हैं। सरकारी विद्यालय खाली कर सरकार हमारी शैक्षिक व्यवस्था पर कुठाराघात कर रही है। जो किसी समाज की उन्नति और विकास के लिए सही संकेत नहीं है। सरकार पहले शिक्षकों को स्थानांतरित कर पद खाली कर रही है, जिसके कारण उन विद्यालयों से विद्यार्थी अन्य विद्यालयों में पलायन कर जाते हैं। उसके बाद जिन विषयों की फैकल्टी नहीं है उन विषयों को विद्यालयों से हटा दिया जा रहा है। अभी ज़िला सिरमौर में बहुत से ऐसे विद्यालय हैं जहां से शिक्षकों के तबादले के कारण विज्ञान और वाणिज्य संकाय के विषय ही ख़त्म कर दिए हैं। प्रदेश में बहुत सारे विद्यालयों में शिक्षक विद्यार्थी अनुपात खराब हो गया है जिसके परिणामस्वरूप प्रदेश सरकार द्वारा विद्यालयों का विलय किया जा रहा है, या फिर बन्द किए जा रहे हैं। ज्यादा कठिनाई तो दूर दराज के सरकारी स्कूलों में शिक्षा ग्रहण कर रहे विद्यार्थियों को आती है, जहां न तो कोई निजी विद्यालय हैं और या तो फिर विद्यालय बहुत दूर है। इससे उनकी पढ़ाई सबसे ज्यादा प्रभावित हो रही है।लेकिन नेताओं को इससे कुछ लेना देना नहीं है, बड़े स्तर पर शिक्षकों के तबादले किए जा रहे हैं और मिड सेशन में भी यह सिलसिला बरकरार है। जबकि जिला सिरमौर में तहसील शिलाई और तहसील संगड़ाह जो गिरिपार का क्षेत्र है ये सरकार द्वारा ज़ारी की गई अति दुर्गम क्षेत्र की सूची में आता है।
अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के पदाधिकारियों ने एक संयुक्त प्रैस विज्ञप्ति में कहा कि इस परिपाटी को रोकना होगा। कर्मचारी वर्ग ने बहुत उम्मीदों के साथ इस सरकार को लाया था कि छात्र हित और शिक्षक हित से जुड़े सभी मुद्दे हल होंगे लेकिन स्थिति और बदतर होती जा रही है। शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सेवाएं प्रदान करने वाले विभागों को भी राजनीति के दायरे में लाया जा रहा है। कर्मचारियों के महंगाई भत्ते और एरियर सभी लंबित पड़े हैं। जिससे कर्मचारियों पर इस महंगाई के दौर में आर्थिक बोझ पड़ रहा है। अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ जिला सिरमौर ईकाई हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू जी से निवेदन करती है कि छात्र हित और शिक्षक हित को ध्यान में रखते हुए शिक्षकों को दुर्गम और अति दुर्गम क्षेत्रों में नौकरी करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। तथा अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाए। रिक्त पड़े पदों को यथाशीघ्र भरा जाए, तबादलों पर मिड सेशन में पूर्ण रोक होनी चाहिए और यदि तबादला आदेश होते हैं तो रिलीवर की शर्त आवश्यक होनी चाहिए। शिक्षकाें के भत्ते और एरियर समय पर दिए जाएं ताकि उन्हें आर्थिक सुरक्षा मिले। हम चाहते हैं कि हमारा प्रदेश एक बार फिर पूरे राष्ट्र का सिरमौर बनकर उभरे।