भरमौर (महिंद्र पटियाल/संवाददाता),
डॉ. मनोहर लाल ने बागवानों को सेब के पौधों के बारे में महत्वपूर्ण जानकरी दी | उन्होंने बताया कि सेब के पौधों को लगने वाली बिमारी मनपाउडरी मिल्ड्यू (चूर्णिल आसिता) एक गंभीर रोग है जो कि सेब की नई कलियों, पत्तियों और फलों को नुकसान पहुंचाता है। यह रोग पोडोस्फेरा ल्यूकोट्राइका नामक फफूंद से होता है। आजकल कुछ बगीचों में यह देखने को मिल रहा है। इससे पौधे के विकास व उत्पादकता पर गहरा असर पड़ता है। डॉ. मनोहर लाल ने बताया कि इस रोग के लक्षण कलियों, पत्तियों, कोमल टहनियों व फलों में देखने को मिलता है। इस रोग का प्रभाव बसंत ऋतु में ज्यादा देखने को मिलता है। पाउडरी मिल्ड्यू से ग्रसित पौधों की नई कलियां व पत्ते छोटे व सफेद होते हैं मानो की इन पर सफेद चूर्ण छिड़का गया हो। संक्रमित पत्ते मुड़े हुए और सख्त होते हैं। अधिक संक्रमण होने पर रोग ग्रसित पत्ते समय से पहले झड़ जाते हैं। ग्रसित कलियों पर फल नहीं लगते अगर लगते भी है तो वो छोटे रह जाते है तथा अच्छी गुणवत्ता का नहीं होता। उन्होंने बताया कि इस रोग की फफूंद कलियों, झड़ी हुई पत्तियों व फलों में प्रसुप्तावस्था में रहती है और जैसे ही अनुकूल वातावरण होता है इसका प्रकोप बढ़ जाता है। यह हवा के द्वारा पौधे के विभिन्न भागों में वितरित होता है। ज्यादातर इसका प्रकोप बसंत ऋतु में देखने को मिलता है। इसके संक्रमण के लिए हवा में ज्यादा आर्द्रता व 10-20 डिग्री सैल्सियस तापमान उपयुक्त होता है। डॉ. मनोहर लाल ने बताया कि इस रोग की रोकथान के लिए कार्बेंडाजिम 12%+ मानकोंजेब 63% ( 500 ग्राम 200 लीटर पानी में) या फिर टेबूकोनाजोल 8%+कैप्टान 32% (500 एम एल 200 लीटर पानी में) या फिर सर्केडिस प्लस 12.5 एससी ( 60 एम एल 200 लीटर पानी में) का घोल बना कर स्प्रे करें और रोग ग्रसित टहनियों व पत्तियों को निकाल कर दबा दें या जला दें।