महिंद्र पटियाल (संवाददाता, भरमौर)
जन -जातीय क्षेत्र भरमौर की दूरदराज पंचायत कुगती के सुप्रसिद्ध ऐतिहासिक कार्तिक स्वामी मंदिर कुगती के कपाट 14 अप्रैल से खुलने जा रहे हैं | मंदिर के पुजारी मचलु राम शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि गत वर्ष भी हर वर्ष की भांति वैसाखी वाले दिन 14 अप्रैल शुक्रवार को मंदिर के कपाट खुलने जा रहें हैं | उन्होंने बताया कि शुक्रवार को शुबह 10 बजे हवन- पाठ व पूरे विधि-विधान व पंरपरागत तरीके से मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोल दिए जाएंगे | उन्होंने सभी श्रद्धालुओं से अपील की है कि वो 13 अप्रैल को रात्रि मंदिर में प्रवेश न करें व 14 अप्रैल को ही सुबह मंदिर में पधारे | 13 अप्रैल को कुगती गांव में मंदिर में भी भंडारे का आयोजन शनिदेव मंदिर भरमौर की तरफ से किया जा रहा है व रहने का भी प्रावधान रहेगा |
विदित रहे कि कार्तिक स्वामी मंदिर कुगती के कपाट हर वर्ष सर्दियों में 30 नवम्बर को बंद कर दिए जाते हैं जो कि साढ़े चार महीने के लंबे अंतराल के बाद वैसाखी वाले दिन श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोल दिए जाते हैं | धार्मिक पंरपरा के अनुसार जब मंदिर के कपाट पूरे विधि विधान से बंद किए जाते हैं तो उस समय मंदिर के गर्भ गृह में पानी की सुराई भर कर रखी जाती है और जब कपाट खुलते हैं तो उस समय यह देखा जाता है कि सुराही में पानी कितना है अगर सुराही पानी से भरी रहती है तो गत वर्ष सुख समृद्धि व अच्छी बारिश व अच्छी फसल के होने की उम्मीद जताई जाती है | अगर सुराही में पानी कम पाया जाता है तो सूखे जैसे सिथ्ती, कम पैदावार, महामारी का भी लोगों को सामना करना पड सकता है |
विदित रहे कि भगवान कार्तिकेय भगवान शिव के ज्येष्ठ पुत्र हैं किसी कारण अपने पिता से रूष्ट होने पर उन्होंने इसी स्थान को चुना जहाँ से कैलाश पर्वत का पिछला हिस्सा सामने दिखाई देता है | भगवान कार्तिकेय का प्राचीन मंदिर शिभियाली नामक चोटी पर है जहाँ पर पंहुचना श्रद्धालुओं के लिए काफी मुश्किल रहता है व कार्तिक स्वामी मंदिर के समीप माता मराली का मंदिर भी है जो कि भगवान कार्तिकेय की बहन हैं | इनका प्राचीन मंदिर भी सामने चोटी पर विराजमान हैं जहाँ भी पंहुचना हर किसी के लिए संभव नहीं है | विदित रहे कि जितने भी प्राचीन मंदिर शिव नगरी भरमौर में विराजमान हैं वो सभी उंची पर्वत श्रंखलाओं में विराजमान हैं व श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए निचले क्षेत्रों में मंदिर स्थापित है |
हर वर्ष हजारों की संख्या में श्रद्धालु देश -विदेश से कार्तिक स्वामी मंदिर कुगती में यहां शिरकत करते हैं मंदिर के कपाट खुलने पर भी श्रद्धालुओं का मंदिर में पंहुचने का तांता लग जाता है | भगवान कार्तिकेय में लोगों की गहन आस्था है भक्त सिर पर लाल टोपी- नरवार पहनकर अपनी आस्था को प्रकट करतें हैं, जिसका गद्दी समुदाय में विशेष महत्त्व है | गत वर्ष भी भरमौर प्रशासन द्वारा कपाट खुलने को लेकर सारे इंतजाम लगभग पूरे कर लिए गए हैं ताकि श्रद्धालुओं को किसी परेशानियों का सामना न करना पड़े |