Categories: विमर्श

.. ताकि चहचहाती रहे गौरैया

विकल्प सिंह ठाकुर (सब एडिटर चीफ)

पक्षियों की दुनिया बेहद निराली है ।  ये हम मनुष्य के पुराने साथी हैं ।  सदियों से  हमारे पूर्वज इन्हें देख देखकर तरह तरह की स्वच्छंद कल्पनाओं में खोते रहे । यही कारण है कि हमारे साहित्य , दर्शन और वांग्मय में भी पक्षियों का अभिन्न स्थान है ।  चाहे काकभुशुण्डि हो या जुटायू या फिर शुकदेव, पक्षियों का मानव से नाता किसी ना किसी रूप में बना रहा ।

लेकिन इनमें से जो मनुष्य की सबसे करीबी है वो है गौरैया । गौरैया यानी स्पैरो । पहाड़ी भाषा में इसे ग्राउडू भी कहा जाता है । वो नन्ही सी चिड़िया जिसे अपने घर आंगन में शोर मचाते हुए हम सबने देखा होगा । जहां दूसरे पक्षी अपने लिये आदमी की पहुंच से दूर घोंसला बनाते हैं वहीं गौरैया आदमी की आबादी के आसपास ही बस जाती है । ऐसा लगता है कि इसे अब भी इंसान की इंसानियत पर भरोसा है ।  हम में से ज्यादातर का पक्षियों से परिचय गौरैया से ही हुआ है । याद कीजिए बचपन में हमारे लिए चिड़िया का मतलब ही गौरैया हुआ करता था । एक वक्त था कि दर्जनों के हिसाब से गौरैया सुबह सुबह शोर मचाकर हमें नींद से उठाया करती थी । हमारी दादी नानी नियम से उनके लिए दाने पानी की व्यवस्था किया करती थी । लेकिन वक्त के साथ ये सब बदल गया ।

समय बीतने के साथ गौरैया की संख्या में भारी कमी दिखाई दे रही है । कई स्थानों पर तो ये बिलकुल ही विलुप्त हो गई । और जहां ये बची है वहां भी इनकी संख्या में भारी गिरावट आई है ।  हो सकता है कि किसी मिलेनियल किड से अगर आप पूछेंगे की गौरैया क्या होती है तो उसे पता ही ना हो ।  सवाल ये है कि आखिर गौरैया गायब कहां हो रही है ।

गौरैया के विलुप्त होने का प्रमुख कारण हमारी आधुनिक जीवन शैली है । वो फलसफा जिसमें मनुष्य अलावा बाकी सबके जीने के अधिकार को खारिज करता है । खासकर बड़े शहरों में जहां हमने इन पक्षियों के लिए तिल भर की जगह नहीं छोड़ी ।  ना तो इनके रहने के लिए पेड़ है ना ही इनके पीने के लिए पानी । उपर से वातावरण में फैलता हुआ प्रदूषण भी इन्हें धीरे धीरे मार रहा है ।  शहर के बाद ये अधुनिकवाद गांव आया बिजली और मोबाइल के टावर्स के रूप में । जिनसे निकलने वाली रेडिएशन्स ने गौरैया की प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर दिया । यही कारण है कि शहर तो शहर ,अब गांव में भी गौरैया कमसम देखने को मिलती है ।  बुजुर्गों की बूढ़ी आंखें सुबह गौरैया की चहचहाहट सुनने को तरस जाती है लेकिन गौरैया अब नहीं आती ।

अगर समस्या हमारी जीवन शैली से पैदा हुई है तो समाधान भी इसी में छिपा है ।  हमें ये समझना होगा कि जैसे मनुष्य को जीने का अधिकार है वैसे ही सभी पशु पक्षियों को भी है । ये सब भी धरती मां की संताने हैं । गर्मियों के दिनों में हम अपनी अपनी छतों पर पानी का कटोरा भरकर अवश्य रख दें जिससे गौरैया या बाकी पक्षियों को प्यास के कारण जान ना देनी पड़े ।  जहां संभव हो पेड़ अवश्य लगाएं और मोबाइल के टावर्स को आबादी से दूर ही लगाएं । इन छोटे छोटे प्रयासों से ही गौरैया बच सकेगी । आज विश्व गौरैया दिवस पर ये संकल्प लें की गौरैया को विलुप्त नहीं होने देंगे । ताकि मनुष्य की ये पुरानी साथी हमेशा चहचहाती रहे ।

Himachal Darpan

Share
Published by
Himachal Darpan

Recent Posts

दिल्ली के पहलवान रोहित ने बड़ी और मरयोग के बीर सिंह ने जीती छोटी माली

राजगढ़ (पवन तोमर, ब्यूरो चीफ), राजगढ़ में आयोजित बैसाखी मेले के अंतिम दिन विशाल दंगल…

1 day ago

मेले न बुलाने के सुरेश कश्यप और रीना कश्यप के आरोप निराधार – राजेंद्र ठाकुर

राजगढ (पवन तोमर, ब्यूरो चीफ), ब्लॉक कांग्रेस पच्छाद पिछले दिनों राज्य स्तरीय शिरगुल बैशाखी मेले…

1 day ago

चौरा पंचायत की बेबसी: जल विद्युत परियोजनाओं के साए में भी अंधकार में जीते लोग

किन्नौर (सुरजीत नेगी, संवाददाता), किन्नौर जिला के प्रथम पंचायत चौरा की यह विडंबना है कि…

1 day ago

राजगढ़ बैसाखी मेला 2025: लायक सोनी बैंड ने सांस्कृतिक संध्या में किया मंत्रमुग्ध करने वाला प्रदर्शन

राजगढ़ (निशेष शर्मा, संवाददाता), राजगढ़ में आयोजित श्री शिरगुल देवता बैसाखी मेला 2025 में हिमाचल…

1 day ago

किन्नौर जिला के आई.टी.बी.पी ग्राउंड में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया जिला स्तरीय हिमाचल दिवस समारोह

सुरजीत नेगी/किन्नौर,जिला स्तरीय 78वां हिमाचल दिवस समारोह किन्नौर जिला के मुख्यालय रिकांग पिओ के आई.टी.बी.पी…

2 days ago

सीआईएसएफ झाकडी व रामपुर बायल इकाई द्वारा 14 अप्रैल 2025 को राष्ट्रीय अग्नि सेवा दिवस का शुभारम्भ

सुरजीत नेगी/रामपुर बुशहर,1500 मेगावाट नाथपा झाकड़ी परियोजना व 412 मेगावाट रामपुर में तैनात सीआईएसएफ की…

3 days ago