धर्मशाला (सोनाली/संवाददाता),
हिमाचल की एकमात्र सेंट्रल यूनिवर्सिटी पिछले 15 साल से सियासत में फंसकर रह गई है। इसके कैंपस को लेकर धर्मशाला, देहरा और शाहपुर में जमकर सियासत हुई है। अब इसपर सियासत नहीं होने दी जाएगी। यह बात धर्मशाला से विधायक व पूर्व शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा ने आज धर्मशाला में प्रेस बयान में कही। सुधीर शर्मा ने धर्मशाला के पक्ष में तर्क देते हुए कहा कि मैक्लोडगंज से तिब्बत की निर्वासित सरकार चल सकती है, तो सेंट्रल यूनिवर्सिटी क्यों नहीं। सुधीर शर्मा ने कहा कि धर्मशाला एकमात्र ऐसा शहर है जहां से पूरा तिब्बत देश चलता है। तमाम सुरक्षा एजेंसियां यहां हैं। धर्मशाला में बीएड कालेज, जेबीटी संस्थान भी है। शहर में छात्रों के लिए विश्व स्तरीय कोचिंग सेंटर हैं। इस शहर में दुनिया का सबसे खूबसूरत क्रिकेट स्टेडियम है। एक हजार होटल है। इनमें से कइयों में फाइव स्टार फैसिलिटी है। धर्मशाला में ये सारी सुविधाएं इस शहर को औरों से अलग बनाती हैं। सीयू का कैंपस धर्मशाला में होने से छात्रों और शिक्षकों को एक एजुकेशन का माहौल मिलेगा। जब केंद्र सरकार ने 2009 में 13 केंद्रीय विश्वविद्यालयों को मंजूरी दी थी, तो उसी समय धर्मशाला के खिलाफ साजिशें शुरू हो गई थीं। उन्होंने कहा कि धर्मशाला से सेंट्रल यूनिवर्सिटी को दूर करने के दोषी भाजपा नेता हैं। उन्होंने इस मसले पर हमेशा जनता को डबल क्रॉस किया है। उन्होंने भाजपा से सवाल किया कि पिछले पांच साल हिमाचल और दिल्ली में भाजपा की सरकार थी, तो इस प्रोजेक्ट को क्यों आगे नहीं बढ़ाया गया। भाजपा नेताओं में इच्छाशक्ति की कमी है। उनके सांसदों और विधायकों के इस मसले पर गोलमोल बयान आते हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा की साजिशों से बेपरवाह कांग्रेस ने ही धर्मशाला में मुख्य कैंपस धर्मशाला में बनाने के लिए 700 एकड़ जमीन मंजूर की थी। उसके बाद राज्य में भाजपा सरकार आने के बाद कैंपस धर्मशाला से देहरा ले जाने का प्रयास शुरू हो गया। उन्होंने कहा कि अब बहुत हो चुका है। धर्मशाला के हितों से खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा।