हजारों भाषा अध्यापक, शास्त्री अध्यापक को मिली निराशा

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चंबा (एम एम डैनियल/ब्यूरो चीफ)

करीब 20 वर्षों से चली आ रही टीजीटी हिंदी, टीजीटी संस्कृत की मांग अभी तक पूरी न होने के कारण हजारों भाषा और शास्त्री अध्यापकों को आश्वासन के सिवा कुछ नही मिला है। हालांकि अपनी इस मांग को लेकर संघ द्वारा मुख्यमंत्री ने बजट सत्र 2022-23 में भाषा अध्यापकों और शास्त्री अध्यापकों को टीजीटी पदनाम देने की घोषणा की थी और दो बार कैबिनेट में भी भाषा अध्यापकों और शास्त्री अध्यापकों टीजीटी पदनाम देने की मुहर मंत्रिमंडल ने लगाई थी। शिक्षा विभाग की लेटलतीफी के चलते अभी तक शिक्षा विभाग टीजीटी पदनाम को लागू नही कर सका है  जिससे उक्त अध्यापकों में जयराम सरकार के प्रति रोष पैदा हो गया है। इस दिशा में अध्यापकों का कहना है कि कांसा चौक मंडी में मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया था कि जल्द उनकी मांगे मान ली जाएगी । अगस्त माह में सभी भाषा और शास्त्री अध्यापकों के दस्तावेज भी सरकार ने मांगे थे जो 31अगस्त तक निदेशालय में जमा करवा दिए है । उसके बाद 4 सितंबर को सुंदरनगर मंडी में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भाषा और शास्त्री अध्यापकों को पदनाम के साथ वितीय लाभ देने की बात कही थी जिससे की भाषा और संस्कृत अध्यापकों में खुशी की लहर थी परन्तु समय के साथ ये सिर्फ कागजों और घोषणा तक ही सीमित रहा है।

इस संदर्भ में भाषा अध्यापक, और शास्त्री अध्यापकों में कमलदीप, राकेश ठाकुर, भिन्द्रों राम, वीरेंद्र, नीटू, पवन कुमार, संजय, मनोज ठाकुर, सुनील कुमार, संगीता कुमारी, अनु देवी, पूनम कुमारी, लेख राज, अर्चना, पुष्पा, गीता धीमान, वंदना कुमारी, ममता पूरी, अनिता, कुमारी, मान सिंह, पिंकी, अंजुबाला, बबली कुमारी, मंजू देवी, हेमलता, कविता, निशा मंडला, आशा देवी, सुगंधा, राजीव, चमन सिंह, मदन कुमार, रवि, संदीप कुमार, आदि ने बताया कि मुख्यमंत्री जयराम और मुख्य शिक्षा सचिव, शिक्षा निदेशालय शिमला से मांग की है  कि जल्द से जल्द पदनाम की अधिसूचना जारी करें ताकि आदर्श आचार संहिता से पहले जो सबको पदनाम के लाभ सहित वितीय लाभ भी मिल सके।  इसके लिए उक्त अध्यापक राज्य सरकार का एहसान ताउम्र नही भूलेंगे इसके अलावा उनका सरकार के प्रति अट्टू विश्वास बना रहे।

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