चंबा (एम एम डैनियल/ब्यूरो चीफ),
दुखों के पहाड़ एवं किस्मत की आजमाइशों से जनजातीय क्षेत्र भरमौर अधीन पंचायत गैहरा निवासी कुलदीप सिंह उसका परिवार कई वर्षों से जूझ रहा है। जिससे बाहर आने के वह अटूट प्रयास कर चुका हैं। लेकिन उसका कुछ भाग्य ऐसा चल रहा है कि एक दुख कम या दूर होने की कगार पर होता है तो कोई दूसरा संकट उसके द्वार पर दस्तक दे देता है। कहा जाता है कि बच्चे देश का भविष्य और किसी के वंश की पहचान होते हैं। मगर जब बच्चे बाली उम्र में ही गंभीर रोगों का यकायक शिकार हो दुनिया से रूखसत होना आरंभ हो जाएं तो अभिभावकों का सीना छलनी हो ही जाता है। ऐसे ताने-बाने के जीवन से कई वर्षों से कुलदीप सिंह और उसकी पत्नी मीना देवी बच्चों की जुदाई एवं बच्चों को लग रहें गैर-संचारी रोगों के दंश को सहने पर विवश है। वहीं अब तो हालात ऐसे पहुंच गए कि बच्चों का उपचार करवाएं या घर चलाएं। गौर हो कि जिला चंबा के जनजातीय क्षेत्र भरमौर से संबंधित पंचायत एवं गांव गैहरा निवासी कुलदीप सिंह 2017-18 में विवाह के बंधन में बंधे, अन्य शादीशुदा जोड़ों की भांति यह भी परिवार सुख में समय व्यतीत करते चले गए। कुलदीप सिंह के घर में भी संतान सुख प्राप्त हुआ। जिसमें दो बेटे और दो बेटियां इन्हें किस्मत नसीब करवाई।
दस वर्ष की उम्र पार करते ही बच्चे जकड़ जाते हैं गंभीर रोगों से
मगर कुलदीप सिंह को भाग्य से प्राप्त बच्चों का सुख अधिक दिनों तक कायम नहीं रह सका। किसी फिल्मी कहानी या श्रापित वाक्या की तरह कुलदीप सिंह के बच्चे जैसे ही 10 वर्ष की उम्र की दहलीज पार करते किसी न किसी गंभीर रूप के शिकार हो जाते। न कुलदीप सिंह को न ही मेडिकल विशेषज्ञ को यह बात अभी तक सत्ता रही है कि दस वर्ष की उम्र के बाद बच्चे गंभीर बीमारी से कैसे पीड़ित हो जा रहे हैं। जिसके लिए विशेषज्ञों ने 41 वर्षीय कुलदीप सिंह और 38 वर्षीय उसकी पत्नी मीना देवी की विशेष मेडिकल जांच की गई। जिसमें दोनों पति-पत्नि में कोई ऐसे लक्षणों को नहीं पाया गया जिसके कारण उनके बच्चों के जीवन पर उसका असर पड़ रहा हो। यह नहीं मेडिकल जांच अनुसार विशेषज्ञों ने कुलदीप सिंह और मीना देवी के परिवारों की हिस्ट्रीशीट तक का अध्ययन किया। लेकिन यहां भी उन्हें क्लीन चिट मिली।
वर्ष 2019 छह माह के अंतराल में खो दिया दो बच्चों को
पंचायत एवं गैहरा निवासी कुलदीप सिंह वर्ष 2019 में महज छह माह के अंतराल में अपने दो मासूमों को खोने देने का दुख झेल चुका है। वर्ष 2019 से ही परिवार मे यह हृदय पीड़ा दायक घटनाएं घटना आरंभ हुई। उनका 13 वर्षीय पुत्र आलोक अचानक हृदय रोग से ग्रस्त पड़ गया। जोकि ठीक होने की बजाय दिन व दिन ओर अधिक बीमार होता चला गया और एक दिन दुनिया को अलविदा कह गया। इस दुख को कुलदीप सिंह व उसकी पत्नी अन्य बच्चों की ओर ध्यान देकर कैसे न कैसे कर झेल गए। लेकिन अभी इस गम से ही दोनों पूरी तरह उबरे नहीं थे कि 11 वर्षीय मासूम बेटी यकायक बीमार हो गई। जिसकी मेडिकल जांच में ज्ञात हुआ कि ब्लड सैल में समस्या है। यह मासूम भी ठीक होने की बजाय दिन व दिन रक्त रोग की चपेट गिरती चलेगी और छह माह में उक्त रोग को न सह सकीं और इसका भी निधन हो गया। इस वाक्या ने कुलदीप सिंह को ओर तोड़ कर रख दिया।
दो मासूमों के गुजरने बाद तीसरा बच्चा भी निकला हृदय रोग
अभी दो बच्चों की जुदाई के गम से अभी कुलदीप सिंह पूर्ण रूप से निकल नहीं पाएं कि तीसरी बच्ची हृदय रोग का शिकार हो गई। वहीं दो बच्चों के निधन के डर से गुजरे कुलदीप सिंह इस बार तीसरे बच्चे के उपचार में कोई जोखिम न उठाने के चलते रिश्ते-नाती व दोस्तों की मदद से पीजीआई चंडीगढ़ में उपचार के लिए पहुंचा। जहां बच्ची की पूर्ण जांच के पश्चात चिकित्सक विशेषज्ञों ने मासूम बेटी किरण का हार्ट ट्रांसप्लांट का परामर्श देने सहित करीब 25 से 30 लाख रुपए का अनुमानित खर्च भी उसके सामने रख दिया। पहले ही दो बच्चों के उपचार एवं संस्कार से आर्थिकी तंगी से गुजर रहे कुलदीप सिंह के आगे धन अभाव की चुनौती सामने आ खड़ी हो गई है।
चौथे बेटे सचिन के लिए बढ़ी कुलदीप और मीना की चिंताएं
दस वर्ष की उम्र के पश्चात दो मासूमों को गंवाने और तीसरी बेटी के हृदय रोग का शिकार होने बाद अब दस वर्षीय बेटे सचिन के लिए भी कुलदीप सिंह और उसकी पत्नी मीना देवी को अभी से चिंताएं सताना आरंभ हो गई है। जिसकी मुख्य वजह दस वर्ष की उम्र पार करते ही बच्चे अचानक गंभीर रोगों की चपेट में आ रहे हैं। हालांकि फिलहाल चौथा बेटा मौजूदा समय में एकदम तंदुरुस्त है। लेकिन शेष अन्य तीन बच्चों की उम्र एवं बीमारी को स्मरण करते ही कुलदीप सिंह और उसकी पत्नी मीना देवी की रातों की नींदें उड़ जा रही है। मगर उनके समक्ष समस्या यह है कि इस काल चक्र को आखिर रोका कैसे जाएं।
मसीहा बन उभरा रिश्तेदार भाई प्रेमी
दो मासूमों को गैर संचारी रोगों से खोने के बाद तीसरे बच्चे को जिंदगी देने के प्रयास में कुलदीप सिंह जहां दिन रात एक कर रहा है। वहीं तीसरी बेटी के हार्ट ट्रांसप्लांट के खर्चे को सुनकर वह मायूस और तीसरे बच्चे के खोने के गम में चूर हो गया। लेकिन इस बात की भनक एक निजी चैनल के पत्रकार एवं उसके कजन भाई प्रेमी ठाकुर को ज्ञात होते वह एक मसीहा की तरह कुलदीप सिंह के जीवन में आया। पत्रकार प्रेमी ने सर्वप्रथम स्वयं आर्थिकी सहायता का कदम बढ़ाते हुए मासूम किरण के उपचार एवं कुलदीप सिंह के हालतों को फेसबुक व व्हाट्सएप में डाल दिया। जिसके बाद कुलदीप सिंह की सहायता के लिए की मददगारों ने हाथ आगे बढ़ाएं।
अभी लाखों रूपए की ओर आवश्यकता है पीड़ित कुलदीप सिंह को
अब तक मददगारों की तरफ से आर्थिकी मदद 18 से 19 लाख रूपये जो कुलदीप सिंह को मुहैया हो पाई है वह केवल मासूम किरण के हार्ट ट्रांसप्लांट तक काफी तो है। लेकिन हृदय विशेषज्ञ चिकित्सकों का कहना है कि आगामी टेस्टों में अभी और 15 से 17 लाख रूपए का खर्च आ सकता है। यह बात सुनकर कुलदीप सिंह फिर से सदमे में हैं कि कैसे आगामी राशि का इंतजाम होगा और यदि नहीं हो पाया तो क्या उपचार पूर्ण होगा या फिर….?
हिमाचल प्रदेश सरकार उपचार के लिए ग्रहण करें पीड़ित परिवार को
पंचायत एवं गांव गैहरा निवासी कुलदीप सिंह के परिवारिक हालातों एवं दुखों को देख जहां मददगार मदद करने में आगे आना आरंभ हुए हैं। वहीं जिला चंबा सहित प्रदेश के अन्य जिलों सहित कई बुद्धिजीवी वर्ग ने हिमाचल प्रदेश सरकार से आह्वान किया है कि राज्य सरकार कुलदीप सिंह के परिवार के मासूमों को संरक्षण एवं आर्थिकी, उपचार सहायता मुहैया करवाने में आगे आएं। उन्होंने हाल में निर्वाचित कांग्रेस नेतृत्व वाली राज्य सरकार में चुनें गए मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू से अपील की है कि इस परिवार के प्रति सरकार दया दृष्टि डालें। राज्य सरकार की ओर से मदद करने सहित पंजाब एवं हरियाणा राज्य सरकार एवं मेडिकल प्रबंधन से बात करें। ताकि मासूम किरण को नया जीवन मिलने सहित इस परिवार से संकटों के बादल छंट सकें।