व्हाट्सएप, फेसबुक व सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा ओपीएस का मुद्दा

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चंबा (एम एम डैनियल/ब्यूरो चीफ),

अब पछताएं क्या होत जब चिड़िया चुग गई खेत ऐसे कुछ आलम से हिमाचल प्रदेश में भाजपा में ताना-बाना चल रहा है। एक ओर जहां प्रतिद्वंद्वी पार्टी कांग्रेस कड़ी चुनौती दे रही है तो वहीं राज्य का कर्मचारी वर्ग भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन कर खड़ा हो चुका है। क्योंकि हिमाचल प्रदेश राज्य का कर्मचारी वर्ग सबसे बड़ा वोट बैंक है जोकि सत्ता का तख्ता पलट करने में हर बार अग्रणी भूमिका निर्वाह करता है। जिसके चलते भाजपा के रिवाज बदलने एवं सत्ता पर वापिस काबिज होने सपनों पर राज्य का कर्मचारी वर्ग पानी फेरने की पूरी तैयारी में लगा हुआ है। जिसका सीधे तौर पर कांग्रेस पार्टी को लाभ प्राप्त हो सकता है। गौर हो कि गत पांच वर्षों से लगातार विभिन्न विभागों में कार्यरत कर्मचारी वर्ग हिमाचल प्रदेश में ओपीएस बहाली को लेकर शांति पूर्वक, पेंशन पदयात्रा, उग्र व अनशन आंदोलनों सहित कई प्रदर्शन सरकार के समक्ष उठा चुके। वहीं अंतिम दिनों में आचार संहिता लगने से पूर्व राज्य सरकार को ओपीएस बहाली पर विधानसभा चुनाव में साथ देने का ऑफर तक दें चुके। लेकिन सरकार के इस दिशा में कोई कदम न उठाने से नाराज अब कर्मचारियों ने भाजपा नेतृत्व वाली सरकार के विरूद्ध मोर्चा बिना आंदोलन के खोल दिया है। विधानसभा चुनाव आचार संहिता लागू होने से कर्मचारी वर्ग किसी मंच से बेशक आंदोलन की राह नहीं अपना सकते हैं। मगर इसका विकल्प निकालते हुए एनपीएस कर्मचारी वर्ग ने ओपीएस बहाली के लिए व्हाट्सएप, फेसबुक व सोशल मीडिया का रास्ता अख्तियार कर डाला है। गत वर्षों में सरकार एवं एनपीएसईए महासंघ से तपोवन, शिमला विधानसभा सत्रों में आंदोलन और बातचीत का खूब वायरल किया जा रहा है। वहीं मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर द्वारा इस दिशा में ओपीएस बहाली के खिलाफ ब्यान को खूब उछाला जा रहा है। जबकि हर दूसरे मैसेज में महासंघ पदाधिकारी वह सदस्य वोट फॉर ओपीएस के लिए करने की अपील जहां कर रहे हैं। वहीं धरने प्रदर्शन के दौरान महासंघ पदाधिकारियों, सदस्यों के खिलाफ पुलिस में मामले दर्ज करवाने सहित घटित अन्याय को याद दिलवाया जा रहा है। जोकि भाजपा सरकार के जहां सपने को चूर-चूर कर सकता है। वहीं भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के सुनहरी भविष्य को हश्रय पर खींच सकता है।

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